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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013

कुछ शेर

कुछ शेर


उसे हम दोस्त क्या मानें  दिखे मुश्किल में मुश्किल से
मुसीबत में भी अपना हो उसी को दोस्त मानेगें

जो दिल को तोड़ ही डाले उसे हम प्यार क्या जानें
दिल से दिल मिलाये जो उसी को प्यार जानेंगें



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बाप बेटा  माँ या बेटी  स्वार्थ के रिश्ते सभी से
उम्र के अंतिम सफ़र में अपना नहीं कोई दोस्तों

स्वप्न थे सबके दिलों में अपना प्यार हो परिबार हो
स्वार्थ लिप्सा देखकर अब सपना नहीं कोई दोस्तों


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अपने और गैरों में फर्क करना नहीं यारों
मर्जी क्या खुदा की हो अपने कौन हो जाएँ

जिसे पाला जिसे पोषा अगर बन जायें बह कातिल
हंसी जीवन गुजरने के  सपनें मौन हो जाएँ



मदन मोहन सक्सेना

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