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शुक्रवार, 19 मई 2023

मेरा देखना तुम्हे हर रोज़

  मेरा...

तुम्हे देखना हर रोज़ 

ऑफिस जाते हुए ...

तुम्हारी हर छोटी बात का

रखना खयाल...

फिर मन ही मन तुमसे  

मिन्नते करना, मनाया करना ...

और सोचना कि .....

जब तुम  आओगे  शाम, 

तो भर दोगे 

डूबते हुए 

सूरज की लालिमा

मेरी  मांग में..

दूज के चांद की

बिछिया पहना दोगे मुझे ...

शाम का स्याह काजल

लगा दोगे आंखों में..

अधरो पे फूलों का प्रगाढ़

लाल रंग धर दोगे 

और 

फिर श्वेत शशांक सी

श्वेत साड़ी पे 

टांके हुए तारों को 

मेरी देह पे लिपटा 

दिया करोगे तुम...

 

मेरे भीगे  घने बालों में 

फिसलती, लिपटती 

इस रात को, रात भर 

अपने अधरों से

उंगलियों से खेलने दोगे तुम ...

और फिर  हर सुबह..

रातरानी के रतजगों सी

महकती मेरी खुशबू,

मेरे स्पर्श के  कुछ कतरे,

तुम्हारी  ऑफिस की 

यूनिफॉर्म वाली शर्ट पे

 देर तक महका करेंगें...


बस यही सब सोच, 

मैं हर रोज ..

कुछ खुरचने

अपने   इश्क  की अपनी चाह   की

तुम्हारे टिफिन में 

पैक कर दिया करती हूं ...

कि जब जब

इसे खोलोगे तुम...

ये सुनाएंगी  तुम्हें

मेरे इंतजार की दास्तां...

कि कैसे 

मैं देखा करती हूं,

मैं तुम्हे ऑफिस जाते हुए

और मनाया करती हूं 

कि......




 




गुरुवार, 18 मई 2023

अंतरराष्‍ट्रीय संग्रहालय दिवस

  संग्रहालय  जगह होती हैजहां पर संस्कृतिपरंपरा और ऐतिहासिक महत्व रखने वाली अतीत की स्मृतियों के अवशेषों और कलाकृतियों को सु‍रक्षित रखा जाता हैताकि आने वाली पीढ़ी को पुरानी संस्‍कृति से जोड़ा जा सके. इसके लिए भारत समेत दुनियाभर में तमाम म्‍यूजियम बनाए गए हैं. इन संग्रहालय की महत्‍ता को समझाने के लिए हर साल 18 मई को अंतरराष्‍ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है

देश का सबसे बड़ा म्‍यूजियम कोलकाता में है. इस संग्रहालय को भारतीय संग्रहालय के नाम से जाना जाता है. भारतीय संग्रहालय का पुराना नाम इंपीरियल म्यूजियम थाबाद में बदलकर इंडियन म्यूजियम कर दिया गया. जवाहरलाल स्ट्रीट पर स्थित इस म्‍यूजियम को छह खंडों में बनाया गया है.

इस म्‍यूजियम की स्‍थापना अंग्रेजों के समय में सन 1814 ई. में की गई थी. भारत की विरासत की रक्षा के लिए इसकी  स्थापना एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल ने की थी और इसे नेथेलिन वैलीच की देख-रेख में बनाया गया था. विलियम जॉन्स ने इस संग्रहालय को बनवाने में अहम योगदान दिया था. इस म्‍यूजियम के बाद ही भारत में तमाम संग्रहालय बनने शुरू हुए.

इस संग्रहालय को छह खंडों आर्कियोलॉजीएंथ्रोपोलॉजीजियोलॉजीजूलॉजीइंडस्ट्री और आर्ट में बनाया गया है. एंथ्रोपोलॉजी सेक्‍शन में आप मोहनजोदड़ो और हड़प्पा काल की निशानियां देख सकते हैं. यहां चार हजार साल पुरानी मिस्र की ममी भी रखी है.

हिमाचल का राज्‍य संग्रहालय शिमला में एक पुरानी विक्टोरियन हेवली में बनाया गया है। यह हवेली कभी लॉर्ड विलियम बेरेस्फोर्ड का निवास स्थान हुआ करती थीजो वायसराय लॉर्ड विलियम बेनटिक के सैन्य सचिव थे। ब्रिटिश साम्राज्य के चले जाने के बाद यह इमारत भारत के सरकारी अधिकारियों के निवास स्थान के रूप में इस्तेमाल की जाने लगी। 26 जनवरी 1974 को इस इमारत में शिमला स्टेट म्यूजिम का उद्घाटन हुआ। 

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की स्थापना 1977 में मॉस्कोरूस में ICOM महासभा के दौरान की गई थी। अंतरराष्ट्रीय म्यूजियम दिवस18 मई को सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों के बीच आपसी समझसहयोग और शांति के विकास के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में मनाने के लिए किया गया।


विवरण सभार 

शनिवार, 13 मई 2023

उदासी की हल्दी

 कहा था उसने...

सुनो 

बात ...क्यों आजकल तुम

बेबाक यूं  करती नहीं ?

हल्दी  ये उदासी की  

क्यों इन आंखों से 

ढलती नहीं ?


कहा था मैंने...

सुनो ...

थी ज़िंदगी तब

इक ख़्वाब जैसे

उसके उफक का थी मैं 

महताब जैसे।

बुने वक्त ने फिर 

ताने बाने, कैसे कैसे

हुई ज़िंदगी  हरा सा ज़ख्म 

सुलगता  दाग़ जैसे 


आग सीने में  मेरे

जाने क्यों  अब जलती नहीं 

कि हूं शमा जिसकी 

परवाने को 

कमी मेरी खलती नहीं 

बस इसलिए

पीली सी इन आंखों से

उदासी की हल्दी

ढलती नहीं 






 





 

शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

जो प्राप्त है वही पर्याप्त है कौवे की हिंदी कहानी।

किसी जंगल में एक कौवा रहता था। वो हमेशा खुश रहता था क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं। वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था  लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया और उसे देखते ही कौवा सोचने लगा, ऐसा प्राणी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा, इतना साफ और सफेद यह तो इस जंगल में औरों से बहुत सफेद और सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा। 


कौवा हंस के पास गया और पूछा, भाई तुम इतने सुंदर हो, इसलिए तुम बहुत खुश होगे ! इस पर हंस ने जवाब दिया- 'हां, मैं पहले बहुत खुश रहता था, जब तक मैंने तोते को नहीं देखा था। उसे देखने के बाद से लगता है कि तोता धरती का सबसे सुंदर है। अपन दोनों के शरीर का तो एक ही रंग है, लेकिन तोते के शरीर पर दो-दो रंग हैं, उसके गले में लाल रंग का घेरा और वो सुर्ख हरे रंग का था, सच में वो खूबसूरत था।


अब कौवे ने सोचा कि हंस तो तोते को सबसे सुंदर बता रहा है, तो फिर उसे देखना होगा। कौवा तोते के पास गया और पूछा- भाई, तुम दो-दो रंग पाकर बड़े खुश होगे? इस पर तोते ने कहा- हां, मैं तब तक खुश था जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था। मेरे पास तो दो ही रंग हैं लेकिन मोर के शरीर पर तो कई तरह के रंग हैं। 




कौवे ने सोचा कि सबसे ज्यादा खुश कौन है, यह तो मैं पता करके ही रहूंगा इसलिए अब मोर से मिलना ही पड़ेगा। कौए ने मोर को जंगल में ढूंढा लेकिन उसे पूरे जंगल में एक भी मोर नहीं मिला। मोर को ढूंढते-ढूंढते वह चिड़याघर में पहुंच गया तो देखा कि मोर को देखने बहुत से लोग आए हुए हैं और उसके आसपास अच्छी खासी भीड़ है। 


सब लोगों के जाने के बाद कौवे ने मोर से पूछा- 'भाई, तुम दुनिया के सबसे सुंदर और रंगबिरंगे जीव हो, तुम्हारे साथ लोग फोटो खिंचवा रहे थे। तुम्हें तो बहुत अच्छा लग रहा होगा और तुम तो दुनिया के सबसे खुश जीव होगे?— इस पर मोर ने दुखी होते हुए कहा, अगर सुंदर हूं तो भी क्या फर्क पड़ता है! 


मुझे लोग इस चिड़याघर में कैद करके रखते हैं, लेकिन तुम्हें तो कोई चिड़याघर में कैद करके नहीं रखता और तुम जहां चाहो, अपनी मर्जी से घूम- फिर सकते हो। इसलिए दुनिया के सबसे संतुष्ट और खुश जीव तो तुम्हें होना चाहिए, क्योंकि तुम आजाद रहते हो। कौवा हैरान रह गया, क्योंकि उसके जीवन की अहमियत कोई दूसरा बता गया।


कहानी से सीख - हमारी जिंदगी में बहुत सारी ऐसी चीजें होती हैं जो केवल हमारे पास हैं, लेकिन हम उसकी अहमियत समझकर खुश नहीं होते। वहीं दूसरों की छोटी खुशी भी हमें बड़ी लगती है, जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को इग्नोर कर देते हैं और फिर दुखी रहने लगते हैं जबकि जो प्राप्त है वही पर्याप्त है।

दुनिया

 कभी-कभी लगता है, 

सब अपने ही तो हैं, 

कह दूँ सारी बातें,

खोल दूँ सारी गिरहें, 

गिरा दूँ सारे पर्दे,


फिर रोक लेती हूँ ख़ुद को, 

कितने भी अपने हों?

हैं तो सभी दुनिया वाले! 

और यह दुनिया कभी किसी की हुई है क्या?


यह दुनिया लोगों को बदनाम करने का दम रखती है, 

यह दुनिया लोगों को बेवजह परेशान करने का दम रखती है,

दुनिया ही तो है जिसे चढ़ाने में भी पल भर लगता है,

और गिराने में भी वक्त नहीं लगता,


सावधान! इस दुनिया से,

जिसे तुम अपना कहते हो वह तो बस सपना है,

जब तक नींद न खुले बस उतने ही पल अपना है।

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

क्षितिज

'क्षितिज' एक ऐसा स्थान जहां धरती और आकाश के मिलने का भान मात्र होता है ।भान मात्र इसलिए कहा, क्योंकि क्या धरती और आकाश का मिलना संभव है? वह तो केवल आभास मात्र है। आभास भी बड़ा ही महत्वपूर्ण शब्द है। यह आभास ही जीवन जीने की कड़ी है। यदि आभास ना हो तो यह दुनिया ही न हो। यह संसार भी तो आभास मात्र ही है। सबका आभास  बना रहे और संसार चलता रहे।🙏🙏🙏

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

दृष्टिकोण

'दृष्टि' यह शब्द गूढार्थ लिए हुए हैं।दृष्टि से ही दृष्टिकोण बनता है। आप जैसे दृष्टि अपनाएंगे उसी के अनुरूप आपका दृष्टिकोण बनेगा। दृष्टि के द्वारा भी ऊर्जा प्रवाहित होते हैं। आपकी दृष्टि भी दूसरों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। उसी प्रकार आप पर भी दूसरों की दृष्टि का प्रभाव पड़ता है। इसलिए दूसरों के प्रति अनुकूल दृष्टि रखें जिससे सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण हो सके और वह ऊर्जा आपके चारो ओर इतनी प्रबल रूप से फैली रहे कि किसी अन्य की बुरी दृष्टि आपको प्रभावित न कर सके।🙏🙏🙏