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शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

एक ग़ज़ल

एक ग़ज़ल -- बेज़ार हुए तुम क्यों---


बेज़ार हुए तुम क्यों  , ऐसी भी  शिकायत क्या ?
मै अक्स तुम्हारा हूँ ,इतनी भी हिक़ारत क्या !     

हर बार पढ़ा मैने , हर बार सुना तुमसे ,
पारीन वही किस्से ,नौ हर्फ़-ए-हिक़ायत क्या ?     

जन्नत की वही बातें  ,हूरों से मुलाक़ातें ,
याँ हुस्न पे परदा है ,वाँ  होगी इज़ाजत क्या ?

तक़रीर तेरी ज़ाहिद ,मुद्दत से वही बातें ,
कुछ और नया हो तो ,वरना तो समाअत क्या ! 

हर दिल में निहाँ हो तुम ,हर शै में फ़रोज़ां  हो ,
ऎ दिल के मकीं मेरे ! यह कम है क़राबत क्या !

दिल पाक अगर तेरा ,क्यों ख़ौफ़जदा  बन्दे !
सज़दे का दिखावा है ? या हक़ की इबादत , क्या ?

मसजिद से निकलते ही,फिर रिन्द हुआ ’आनन’ ,
इस दिल को यही भाया ,अब और वज़ाहत क्या !

-आनन्द.पाठक--

सोमवार, 24 अगस्त 2020

Bhai Chara / भाईचारा / Brother Hood

Bhai-Chara-Brother-Hood

Bhai Chara / भाईचारा / Brother Hood


Bhai Chara / भाईचारा / Brother Hood


क्या गजब है देशप्रेम,
क्या स्वर्णिम इतिहास हमारा है|
अजब-गजब कि मिलती मिसालें,
क्या अद्भुत भाईचारा है||

जब भी दुश्मन आता सरहद पर,
हमें देशप्रेम बुलाता है|
माँ भारती कि आन-बान को,
हर भारतवासी मर-मिट जाता है||

जब सैनिक भारत माँ कि रक्षा को,
सीने पर गोली खाता है|
हर भारतवासी के सीने को,
वो लहूलुहान कर जाता है||

जब जब आई है विपदा हम पर,
हम कंधे से कंधा मिलाते है|
हम भारत माँ और उन वीर सपूतो के,
वंदन को शीश झुकाते है||

वीर सपूतो के बलिदानों पर,
हर भारत वासी हारा है|
हम माँ भारती कि संताने है,
और हिंदुस्तान हमारा है||

क्या अद्भुत भाईचारा है||



ऋषभ शुक्ला

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शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

स्वामी विवेकानंद जी के चुनिंदा प्रेरणादायक सुविचार

स्वमी विवेकानंद जी के सुविचार


शक्ति जीवन है तो निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है तो संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है तो द्वेष मृत्यु है।

● अपने इरादों को मज़बूत रखो। लोग जो कहेंगे उन्हें कहने दो। एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे।

● हजारों ठोकरें खाने के बाद ही एक अच्छे चरित्र का निर्माण होता है।

● दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।

● खुद को कमजोर मान लेता बहुत बड़ा पाप है।

● जब आप व्यस्त होते हैं तो सब कुछ आसान सा लगता है परन्तु आलसी होने पर कुछ भी आसान नहीं लगता है।

● बार बार परमेश्वर का नाम लेने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता। जो व्यक्ति सत्यकर्म करता है वही धार्मिक है। 

● हमारा कर्तव्य है कि हम सभी को अपने उच्चतम विचार को जीने के लिए संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित करें, और साथ ही आदर्श को सत्य के जितना संभव हो सके बनाने के लिए प्रयास करें।

● यह कभी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। यदि पाप है, तो यह एकमात्र पाप है, यह कहना कि आप कमजोर हैं, या अन्य कमजोर हैं। 

● ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।

● हम जैसा सोचते हैं बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी ही है, हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। सम्पूर्ण  संसार हमारे अंदर समाया हुआ है, बस जरूरत है तो चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की।

● उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो.

● हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.

● एक विचार लो. उस विचार को अपना जीवन बना लो – उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो. अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो, और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो. यही सफल होने का तरीका है.
                             

● वेदान्त कोई पाप नहीं जानता, वो केवल त्रुटी जानता है. और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो, तुम पापी हो, एक तुच्छ प्राणी हो, और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये-वो नहीं कर सकते.


● मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं. जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं.
                          

● एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ
  

● हम जो बोते हैं वो काटते हैं. हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं. हवा बह रही है, वो जहाज जिनके पाल खुले हैं, इससे टकराते हैं, और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं, पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते. क्या यह हवा की गलती है ?…..हम खुद अपना भाग्य बनाते हैं


● प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है. इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है. वह जो प्रेम करता है जीता है, वह जो स्वार्थी है मर रहा है. इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो, क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है, वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो.


● स्वतंत्र होने का साहस करो. जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो, और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो.

एक प्रणय गीत --खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें ---

आज [ 21-08-2020 ] हरितालिका तीज है --इस अवसर पर

एक प्रणय गीत --

खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें चलो बाग़ में
प्यार से है भरा दिल,छलक जाएगा

ये लचकती महकती हुई डालियाँ
झुक के करती नमन हैं तुम्हें राह में 
हाथ बाँधे हुए सब खड़े फ़ूल  हैं
बस तुम्हारे ही दीदार की चाह में 

यूँ न लिपटा करो , शाख से पेड़  से
मूक हैं भी तो क्या ? दिल धड़क जायेगा

एक मादक बदन और उन्मुक्त मन
बेख़ुदी में क़दम लड़खड़ाते हुए
एक यौवन छलकता चला  आ रहा
होश फूलों का कोई उड़ाते हुए

यूँ न इतरा के बल खा चला तुम करो
ज़र्रा ज़र्रा चमन का  महक जाएगा

आसमाँ से उतर कर ये कौन आ गया
हूर जन्नत की या अप्सरा या परी  ?
हर लता ,हर कली ,फ़ूल पूछा किए
यह हक़ीक़त है या रब की जादूगरी ?

देख ले जो कोई मद भरे दो नयन
आचमन के बिना ही बहक जाएगा

तुमको देखा तो ऐसा लगा क्यों मुझे
ज़िन्दगी आज अपनी सफल हो गई
मन खिला जो तुम्हारा कमल हो गया
और ख़ुशबू बदन की ग़ज़ल हो गई 

लाख कोशिश करूँ पर रुकेगा नहीं
दिल है मासूम मेरा भटक जाएगा ।

खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें चलो बाग़ में ,-प्यार से  है भरा दिल---

-आनन्द,पाठक--

शनिवार, 15 अगस्त 2020

चन्द माहिया : 15-अगस्त पर

[ मित्रो !
स्वतन्त्रता दिवस -2020 की आप  सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।

चन्द माहिया : 15-अगस्त पर

1
यह पर्व है जन-जन का 
करना है अर्पण
अपने तन-मन-धन का

2
सौ बार नमन मेरा
वीर शहीदों को
जिनसे है चमन मेरा

3
हासिल है आज़ादी
रंग तिरंगे का 
क्यों आज है फ़रियादी ?

4
जब तक सीने में दम
झुकने मत देना
भारत का यह परचम

5
इस ध्वज का मान रहे 
लहराए नभ में
भारत की शान रहे 

-आनन्द.पाठक-

रविवार, 2 अगस्त 2020

राम जन्मभूमि के शिलान्यास के अवसर पर विनीता अग्निहोत्री की कविता

राम जन्मभूमि के शिलान्यास के 
अवसर पर
नभ से देव सुमन बरसायेंगे
तब हम सब खुशी मनायेंगे

अपने घर में भारवंशी दिये जलायेंगे
नभचर-जलचर गीत खुशी के गायेंगे

नर-नारी, नागर-वनचारी मंगल राग सुनायेंगे
अद्भुत दृश्य देखकर अपने राम-सिया मुस्कायेंगे

कोरोना के कारण नहीं अयोध्या जा पायेंगे
सब अपने घर पर ही रहकर जमकर जश्न मनायेंगे
- विनीता अग्निहोत्री