मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

रविवार, 15 मार्च 2015

दिन को रोज़ा रहत है ,रात हनत है गाय , यह खून बह बंदगी ,कहु क्यूँ ख़ुशी खुदाय


दिन को रोज़ा रहत है ,रात हनत है गाय , यह खून बह बंदगी ,कहु क्यूँ ख़ुशी खुदाय



दिन को रोज़ा रहत है ,रात हनत है गाय

यह खून बह बंदगी ,कहु क्यूँ ख़ुशी खुदाय

In day time thou observeth fast ,

And doth slaughter cow in the night ;

This bloodshed !that adoration !

Say in what way it's God's delight ?

मुर्गी मुल्लाह सौं कहै , जबह करत है मोहिं

  साहब लेखा माँगसी ,संकट परिहै तोहि।

The hen to the Mullah sayeth ;

' For thy food thou dost slaughter me ;

When Saheb asks for thy account

Catastrophe will fall on thee'.

बकरी पाती खात है ,ताकी काढ़ी खाल ,

जो बकरी को खात  है , तिनका कौन हवाल।


The goat eats grass and (leaves of trees )

But is killed and its skin peeled ,

In what measure the men be dealt

who kill the goat and  its flesh eats .

कबीरा तेई पीर है ,जो जाने पर पीर,

जो पर पीर न जानि है ,सो काफ़िर बेपीर।

He alone is the Pir who is

Full sensitive to others pain ;

A cruel infidel he is who's

Insensitive to others pain .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें