ग़ज़ल : मिलेगा जब भी वो हमसे---
मिलेगा जब भी वो हम से, बस अपनी ही सुनायेगा
मसाइल जो हमारे हैं , हवा में वो उड़ाएगा
अभी तो उड़ रहा है आस्माँ में ,उड़ने दे उस को
कटेगी डॊर उस की तो ,कहाँ पर और जायेगा ?
सफ़र में हो गया तनहा ,तुम्हारे साथ चल कर जो
वो यादों के चरागों को जलायेगा ,बुझायेगा
कहाँ तक खींच कर लाई ,तुझे यह ज़िन्दगी प्यारे
अगर तू लौटना चाहे , नहीं तू लौट पायेगा
इस आँगन का शजर है बस इसी उम्मीद में ज़िन्दा
परिन्दा जो गया है छोड़ , वापस लौट आयेगा
वो रिश्तों की लगाता बोलियाँ बाज़ार में जा कर
जिसे करनी तिजारत है वो रिश्ते क्या निभायेगा
अरे ! क्या सोचता रहता यहाँ पर बैठ कर ’आनन’
गये हैं लोग सब कुछ छोड़ ,तू भी छोड़ जायेगा
-आनन्द.पाठक-
मिलेगा जब भी वो हम से, बस अपनी ही सुनायेगा
मसाइल जो हमारे हैं , हवा में वो उड़ाएगा
अभी तो उड़ रहा है आस्माँ में ,उड़ने दे उस को
कटेगी डॊर उस की तो ,कहाँ पर और जायेगा ?
सफ़र में हो गया तनहा ,तुम्हारे साथ चल कर जो
वो यादों के चरागों को जलायेगा ,बुझायेगा
कहाँ तक खींच कर लाई ,तुझे यह ज़िन्दगी प्यारे
अगर तू लौटना चाहे , नहीं तू लौट पायेगा
इस आँगन का शजर है बस इसी उम्मीद में ज़िन्दा
परिन्दा जो गया है छोड़ , वापस लौट आयेगा
वो रिश्तों की लगाता बोलियाँ बाज़ार में जा कर
जिसे करनी तिजारत है वो रिश्ते क्या निभायेगा
अरे ! क्या सोचता रहता यहाँ पर बैठ कर ’आनन’
गये हैं लोग सब कुछ छोड़ ,तू भी छोड़ जायेगा
-आनन्द.पाठक-
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (16-10-2017) को
जवाब देंहटाएं"नन्हें दीप जलायें हम" (चर्चा अंक 2759)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'