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बुधवार, 25 अगस्त 2021

पिया बोले न

 पिया बोले न ....

गिरहें खोलें न ...


रूठे है कबसे वो 

जाने मुझसे क्यों

कैसे मनाऊं 

मैं समझाऊं  

बैरन बिरह

जीवन में यूं 

विष  तो घोले न 

पिया बोले न....


तरसे नयनवा

उनके दरस को ...

आएंगे साजन

कौन बरस को...

अंबर बरसे 

धरती तरसे 

पुरवा सयानी 

इत उत भटके 

पीहू पुकारे 

घर के  दुआरे 

तुम्हरे लिए है खोले न ...

पिया बोले न....



7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!
    बहुत सुन्दर मनभावन सृजन।

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