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मंगलवार, 4 जनवरी 2022

एक ग़ज़ल : आप के आने से पहले--

 एक ग़ज़ल 


आप के आने से पहले आ गई ख़ुश्बू इधर,

ख़ैरमक़्दम के लिए मैने झुका ली है नज़र ।


यह मेरा सोज़-ए-दुरूँ, यह शौक़-ए-गुलबोसी मेरा,

अहल-ए-दुनिया को नहीं होगी कभी  इसकी ख़बर ।


नाम भी ,एहसास भी, ख़ुश्बू-सा है वह पास भी,

दिल उसी की याद में है मुब्तिला शाम-ओ-सहर ।


तुम उठा दोगे मुझे जो आस्तान-ए-इश्क़ से ,

फिर तुम्हारा चाहने वाला कहो जाए किधर ? 


बेनियाज़ी , बेरुख़ी तो ठीक है लेकिन कभी ,

देख लो हालात-ए-दुनिया आसमाँ से तुम उतर कर ।


यह मुहब्बत का असर या इश्क़ का जादू कहें,

आदमी में ’आदमीयत’ अब लगी आने नज़र ।-


शेख़ जी ! क्या पूछते हो आप ’आनन’ का पता ?

बुतकदे में वह कहीं होगा पड़ा थामे जिगर।-


-आनन्द.पाठक-


शब्दार्थ 

सोज़-ए-दुरुँ = हृदय की आन्तरिक वेदना

शौक़-ए-गुलबोसी = फूलों को चूमने की तमन्ना

अहल-ए-दुनिया को = दुनिया वालों को


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