चिल्लाओ मत इतना;
कान के पर्दे फट जाए ।
हिन्दुस्तान वतन है अपना;
आपस में न माँ बँट जाए ॥
***************************
एक मुसलमा ,हिन्दू एक;
एक हिंदुस्तान वहाँ है।
एक गुलाबी बाग़ वह;
नेक हर इन्सान जहाँ है ॥
************************
एक काफिर है काफी;
जो बंदा न ईमान का ।
एक दोस्त जो दुआ माँगे;
प्यारा है भगवान् का ॥
************************
छोड़ दो उस पगडण्डी को;
जिसपे लाख हो काँटे ।
कदम-कदम पे लहू ले ;
टुकडो में गाँव बाँटे ॥
***********************
आओ मिलकर साथ रहें;
रहेगा अपना जहां सलामत ।
मत काटो अपने हाथों को ;
अपने हाथों अपनी किस्मत ॥
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पोएम श्रीराम
कान के पर्दे फट जाए ।
हिन्दुस्तान वतन है अपना;
आपस में न माँ बँट जाए ॥
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एक मुसलमा ,हिन्दू एक;
एक हिंदुस्तान वहाँ है।
एक गुलाबी बाग़ वह;
नेक हर इन्सान जहाँ है ॥
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एक काफिर है काफी;
जो बंदा न ईमान का ।
एक दोस्त जो दुआ माँगे;
प्यारा है भगवान् का ॥
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छोड़ दो उस पगडण्डी को;
जिसपे लाख हो काँटे ।
कदम-कदम पे लहू ले ;
टुकडो में गाँव बाँटे ॥
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आओ मिलकर साथ रहें;
रहेगा अपना जहां सलामत ।
मत काटो अपने हाथों को ;
अपने हाथों अपनी किस्मत ॥
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पोएम श्रीराम
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [26.08.2013]
जवाब देंहटाएंचर्चामंच 1349 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest post आभार !
latest post देश किधर जा रहा है ?
meri rachna aapko pasand aayi ,so many many thanks
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (26-08-2013) को सुनो गुज़ारिश बाँकेबिहारी :चर्चामंच 1349में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अर्थ और भाव सौन्दर्य पूर्ण बढ़िया रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति । माँ न बांटें हम ।
जवाब देंहटाएंभारत माता कभी नहीं बंटेगी.....................
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