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शनिवार, 12 सितंबर 2020

चन्द माहिए--

 चन्द माहिए---

1

रिश्तों की तिजारत में 

ढूँढ रहे हो क्या

नौ फ़स्ल-ए-रवायत में  ?

2

क्या वस्ल की रातें थीं

और न था कोई 

हम तुम थे,बातें थीं

3

कुरसी से रहा चिपका

कैसे मैं जानूँ

यह ख़ून बहा किसका ?

4

अच्छा न ,बुरा जाना

दिल ने कहा जितना

उतना ही सही माना

5

वो आग लगाते हैं

फ़र्ज़ मगर अपना

हम आग बुझाते हैं


-आनन्द.पाठक--


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-09-2020) को    "सफ़ेदपोशों के नाम बंद लिफ़ाफ़े में क्यों"   (चर्चा अंक-3823)    पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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