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गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

शुभमाल छंद "दीन पुकार"

सभी हम दीन।
निहायत हीन।।
हुए असहाय।
नहीं कुछ भाय।।

गरीब अमीर।
नदी द्वय तीर।।
न आपस प्रीत।
यही जग रीत।।

नहीं सरकार।
रही भरतार।।
अतीव हताश।
दिखे न प्रकाश।।

झुकाय निगाह।
भरें बस आह।।
सहें सब मौन।
सुने वह कौन।।

सभी दिलदार।
हरें कुछ भार।।
कृपा कर आज।
दिला कछु काज।।

मिला कर हाथ।
चलें सब साथ।।
सही यह मन्त्र।
तभी गणतन्त्र।।
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शुभमाल छंद विधान -

"जजा" गण डाल।
रचें 'शुभमाल'।।

"जजा" =  जगण  जगण 
( 121    121 ) , 
दो - दो चरण तुकान्त , 6 वर्ण प्रति चरण
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

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