मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

गुरुवार, 26 मई 2022

मिलोगे कभी क्या मुझे तुम, बता दो ?

 मिलोगे कभी क्या मुझे तुम, बता दो ?

सज़ा मुझको दोगे यूं कब तक, बता दो 


यहां अब सवेरे आते नहीं है 

अंधेरे यहां से जाते नही है 

न चांद यहां है 

सितारे न कोई 

रातें यहां पर न सदियों से सोई 

ये पल कब तलक हो 

समय को बता दो 


कोई लफ्ज़ बोले न अपनी कहानी

कोई आंख खोले न अपनी ज़ुबानी

न शिकवा किसी को 

शिकायत न कोई 

बेसबब बेवजह हो कब तक यूं कोई 

उदास ये गम कब तलक हो

दिल को बता दो 


ये धड़कन थोड़ी  थमी सी हुई है 

बदन में भी कोई आहट नही है 

न सांसों  में गर्मी 

न होंठों में नर्मी 

मर मर के जिए कब तक यूं कोई 

 बेवजह ज़िंदगी  कब तलक हो 

 हमें अब बता दो 


क्या मिलोगे मुझे तुम कभी ये बता दो ?

सज़ा मुझको दोगे यूं कब तक बता दो ?


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें