मेरी नवीन ऑनलाइन प्रकाशित पुस्तक----डॉ. श्याम गुप्त की लघुकथाएं --
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कृति---डॉ. श्यामगुप्त की लघुकथाएं---ऑनलाइन---
सर्वाधिकार -लेखकाधीन
प्रथम संस्करण-जून २०२३... ऑनलाइन...
रचयिता-: डॉ श्यामगुप्त
सुश्यानिदी,के-३४८,आशियाना,लखनऊ २२६०१२.
मो.९४१५१५६४६४, drgupta04@gmail.com
मुखपृष्ठ -डॉ श्यामगुप्त
प्रकाशक – सुषमा प्रकाशन, आशियाना, लखनऊ २२६०१२
Book--Dr shyam gupt ki Laghu Kathayen
(short-stories by Dr Shyam Gupt )
Writer—Dr Shyam Gupta
Sushyanidi, K-348, Aashiyana, Lucknow, U.P.-INDIA -226012
Mo-941515646, email-drgupta04@gmail.com
Publisher- Sushma prakaashan, Lucknow
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डॉ. श्यामगुप्त की लघुकथाएं
----अनुक्रमणिका ----
समर्पण --
आभार --
लघु कहानी का कथ्य ---डा श्यामगुप्त
कथाक्रम-१ से ५८ तक----
१.आठवीं रचना ...-------
२..अफसर ...-----------
३.ढलती शाम और डूबता सूरज ....---
४.एक मुलाक़ात बस यूंही ...-----
५.कार्य विभाजन ----------
६.चींटियाँ ...------
७.अपन तुपन -----
८.मी टू प्लस -----
९.मनोरंजन ...----------
१०.इलेक्शन और गांधीजी
११.गट्टू पहलवान ..------
१२.बदलते उसूल ----------
१३.मोड़ जीवन के ...---------
१४.माँ ...-----------------
१५.मंत्री जी शहर में...-------
१६.बेस्ट फ्रेंड...------------
१७.बचपन...------------- -
१८.पुरुषार्थ...----------------
१९.पाल ले इक रोग नादाँ ...-----
२०.रिमार्क...--------------- -
२१.सीट...----------------
२२.भव चक्र....--------------
२३.रथ चढ सिया सहित ...--------
२४.शुक्र का पारगमन ...---------
२५.गुड डॉक्टर या पोपुलर डॉक्टर ----------
२६.आत्मकथा ....------------------
२७.कहानी की कहानी ....-------------
२८.विवाह
२९.छोटी सी गोली ....-----------------
३०.दो का पहाड़ा...
३१.आम
३२.समस्या व लोकपाल...-----------------
३३.लोफर...--------------------------
३४.विकृति की जड़ ...------------------
३५.जो सहि दुःख परछिद्र दुरावा ------------
३६.न चाहते हुए भी...------------------
३७.विकास या पतन..-------------------
३८.हूँ तो उनकी निगाह में -------------
३९.सुख-दुःख ...------------------
४०.समय नियोजन....---------------
४१.लघुकथा -----------------------
४२.मैनूं पिचाना जी ------
४३. नारी और नारी सम्मान ---
४४.दादा --
४५.मेम साहब --
४६.श्राद्ध ---
४७.गुणात्मक सोच----
४८.टाइल्स ---
४९.हैरी पोटर ---
५०.कठिन डगर ---
५१.डाकिया ...
५२.कोरोना काल--
५३.सुव्यवस्था----
५४.नौकरी----
५५.मुक्तिपथ---
५६.मानवता का प्रथम महासमन्वय --
५७.सही राह पर ----
५८.विश्वास और मित्रता ....
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आभार
उन सभी का जिनके समय समय पर प्राप्त विचार व भावोद्गार इन कथाओं में भावित हुए...
एवं
जो इन कथाओं के जाने-अनजाने पात्र रूप में प्रतिष्ठित हुए...
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समर्पण
पूज्य पिताजी स्व.श्री जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता
एवं
पूज्य माताजी स्व.श्रीमती रामभेजी देवी गुप्ता को
माँ की ममता की छाया जब,
सदा हमारे संग रहती है |
प्रथम गुरु की शिक्षाएं बन,
संस्कार मन रच बस जाते |
जीवन का हर तमस मिटाने,
कितने ज्ञानदीप जल उठते ||
पिता की छत्र-छाया वो ,
हमारे सिर पै होती है |
उंगली पकड़ हाथ में चलना ,
खेलना-खाना, सुनी कहानी |
बचपन के सपनों की गलियाँ ,
कितने जीवन मिल जाते हैं
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