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सोमवार, 5 अगस्त 2013

ग़ज़ल -- हिन्दी में ....व अंग्रेज़ी में ....डा श्याम गुप्त ..


हिन्दी ग़ज़ल....

 मुस्कुराइए जलाकर दिए....

दीप खुशियों के जलें ऐसे ,
पुष्प दामन में खिलें जैसे |

 मुस्कुराइए जलाकर दिए,
सामने हम हों खड़े जैसे |

खूब रोशनी हो जीवन में ,
सफलताएं सब मिलें जैसे |

आशा व् उत्साह से पूरित,
जीवन राह में चलें जैसे |

उमंगें व् उल्लास के पौधे,
उर्वरा भूमि में फलें जैसे |

खुश हो लेना कि तरन्नुम में,
श्याम की गज़ल सुनलें जैसे ||
                                                          
    

अब उसी  ग़ज़ल की अंगरेजी ग़ज़ल....

Let the lamps light

Let the lamps light,
Life comes to be bright.

Let the candles of hope,
Happiness &harmony ignite.

Think of me my dear,
When you light a light.

Think of me my dear,
When you pray in the night.

 In  the wilderness of thoughts, 
 will be loneliness  in the sight.

In the darkness of your heart,
Let the ray of  hope be bright.

Here comes the dawn of hope,
To do away this night.

Let the lamps light,
Life comes to be bright.





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3 टिप्‍पणियां: