Laxmirangam: संप्रेषण और संवाद:
संप्रेषण और संवाद
आपके कानों में किसी की आवाज सुनाई देती है. शायद कोई प्रचार हो रहा है. पर भाषा आपकी जानी पहचानी नहीं है. इससे आप उसे ...
मित्रों! आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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शुक्रवार, 25 अगस्त 2017
Laxmirangam: संप्रेषण और संवाद
Andhra born. mother toungue Telugu. writing language Hindi. Other languages known - Gujarati, Punjabi, Bengali, English.Published 8 books in Hindi and one in English.
Can manage with Kannada, Tamil, assamese, Marathi .
Published Eight books in Hindi containing Poetry, Short stories, Currect topics, Essays, analysis etc. All are available on www.Amazon.in/books with names Rangraj Iyengar & रंगराज अयंगर
बुधवार, 16 अगस्त 2017
एक गीत :--------तो क्या हो गया
एक गीत : --------तो क्या हो गया
तेरी खुशियों में शामिल सभी लोग हैं ,एक मैं ही न शामिल तो क्या हो गया !
ज़िन्दगी थी गुज़रनी ,गुज़र ही गई
बाक़ी जो भी बची है ,गुज़र जाएगी
दो क़दम साथ देकर चली छोड़ कर
ज़िन्दगी अब न जाने किधर जाएगी
तेरी यादों का मुझको सहारा बहुत ,एक तू ही न हासिल तो क्या हो गया !
किसको मिलती हैँ खुशियाँ यहाँ उम्र भर
कौन है जो मुहब्बत में रोया नहीं
मंज़िलें भी मिलीं तो उसी को मिलीं
आज तक राह में जो है सोया नहीं
चार दिन की मिली थी मुझे भी ख़ुशी,अब है टूटा हुआ दिल तो क्या हो गया !
एक ढूँढे, मिलेंगे हज़ारों तुझे
चाहने वालों की यूँ कमी तो नहीं
कैसे समझी कि कल मैं बदल जाऊंगा
प्यार मेरा कोई मौसमी तो नहीं
तेरी नज़रों में क़ाबिल सभी लोग हैं ,एक मैं ही न क़ाबिल तो क्या हो गया
मैने तुझ से कभी कुछ कहा ही नहीं
बात क्या हो गई तू ख़फ़ा हो गई
बेरुखी ये तिरी और मुँह फेरना
कुछ बता तो सही क्या ख़ता हो गई
किसकी कश्ती है डूबी नहीं प्यार में,छू सका मैं न साहिल ,तो क्या हो गया
तेरी खुशियों में शामिल सभी लोग हैं,एक मैं ही न शामिल तो क्या हो गया
-आनन्द.पाठक-
तेरी खुशियों में शामिल सभी लोग हैं ,एक मैं ही न शामिल तो क्या हो गया !
ज़िन्दगी थी गुज़रनी ,गुज़र ही गई
बाक़ी जो भी बची है ,गुज़र जाएगी
दो क़दम साथ देकर चली छोड़ कर
ज़िन्दगी अब न जाने किधर जाएगी
तेरी यादों का मुझको सहारा बहुत ,एक तू ही न हासिल तो क्या हो गया !
किसको मिलती हैँ खुशियाँ यहाँ उम्र भर
कौन है जो मुहब्बत में रोया नहीं
मंज़िलें भी मिलीं तो उसी को मिलीं
आज तक राह में जो है सोया नहीं
चार दिन की मिली थी मुझे भी ख़ुशी,अब है टूटा हुआ दिल तो क्या हो गया !
एक ढूँढे, मिलेंगे हज़ारों तुझे
चाहने वालों की यूँ कमी तो नहीं
कैसे समझी कि कल मैं बदल जाऊंगा
प्यार मेरा कोई मौसमी तो नहीं
तेरी नज़रों में क़ाबिल सभी लोग हैं ,एक मैं ही न क़ाबिल तो क्या हो गया
मैने तुझ से कभी कुछ कहा ही नहीं
बात क्या हो गई तू ख़फ़ा हो गई
बेरुखी ये तिरी और मुँह फेरना
कुछ बता तो सही क्या ख़ता हो गई
किसकी कश्ती है डूबी नहीं प्यार में,छू सका मैं न साहिल ,तो क्या हो गया
तेरी खुशियों में शामिल सभी लोग हैं,एक मैं ही न शामिल तो क्या हो गया
-आनन्द.पाठक-
न आलिम न मुल्ला न उस्ताद ’आनन’ //
अदब से मुहब्बत अदब आशना हूँ//
सम्पर्क 8800927181
रविवार, 6 अगस्त 2017
Now that you pamper the soulful me
Now that you pamper the soulful me
Why won't you pamper the bodily me
You are the he and I am the she
Why won't you love the she in me
I am the nectar that feeds your soul
Why won't you be my honey bee
The fire, desires in the ember me
Why won't you be my inferno spree
The touch that renaissance the bodily me
Why won't you be Leonardo da Vinci
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