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शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

पतझड़

फरवरी का महीना ख़ुद में ही सारे रंगों से सराबोर होता है और इस समय प्रकृति धरती को नए सौंदर्य से भर देती है । पेड़ों और पौधों में नयी कोपलें फूटती हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं, खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए मन भी उत्साहित होता है ।मन के गलियारे में भी भावनाओं की नयी लहर भी उम्र के साथ दस्तक देती है ।कुनिका जीवन के बीसवें बसंत में क़दम रख रही थी ।इंजीयनियरिंग की पढ़ाई भी ख़त्म ही होने वाली थी ।कॉलेज में प्लेसमेंट हो रहे थे । कुनिका भी चयनित हुयी थी ।उसे एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी से भी ऑफ़र मिल गया था ।ख़ुशियाँ दुगनी सी लग रहीं थी ।फरवरी की हल्की ठंड में हल्की बारिश के बाद उठती सोंधी ख़ुशबू उसे मदहोश कर रही थी,कुनिका प्रकृति की दीवानी थी ।ऐसे मौसम में अक्सर वह बाहें फैला कर आसमान की ओर देखते हुए हर मंज़र को बंद आँखों से ख़ुद में समेट लेती थी ।अयान कार का हॉर्न बजाता ही जा रहा था और कुनिका रास्ते में खड़ी ख़ुद में डूबी हुई थी,मेमसाब पार्किंग है ये, ज़रा रास्ता तो दीजिए ,कार पार्क करनी है, और हाँ .. बूँदों को ज़मीन पर गिरने दीजिए क्यूँ दोनो के बीच दीवार बनी हैं ,और इस मौसम में भीगने से बीमार पड़ जाओगी ।कुनिका हड़बड़ा कर किनारे से जाने लगी कि ठोकर लगते ही गिर गयी ।अयान ने उसे उठाया और बोला चोट तो नही लगी मैडम, वास्तव में तो घायल अयान हो चुका था , इस बारिश में सादगी में लिपटी हुई, ख़ुद में खोयी हुई ख़ूबसूरत मासूम सी लड़की को देख कर ।तभी माईरा दौड़ती बाहर आते ही बोली ,'क्या भैया कितना टाइम लगा देते हो ?मुझे ख़ुशख़बरी देनी थी सबको, ''आइ ऐम सो इक्सायटेड ,मुझे विप्रों ने सलेक्ट कर लिया ,पापा कितने ख़ुश होंगे सुनकर , माँ का चेहरा भी मुझे देखना है कितनी ख़ुश होगी सुनकर और तुम हो की पता नही क्या करने लगे ।तभी माईरा की नज़र कुनिका पर पड़ी ।''तुम यहाँ क्या कर रही हो ?ओह हो समझ गयी तो तुम अपनी पहली ख़ुशी बारिश से शेयर कर रही थी है न ..तू न ..तू तो बड़ी पागल है ''। ''भैया ये मेरी फ़्रेंड है कुनिका । भैया कुनिका भी भीग गयी चलो जल्दी इसे इसके घर ड्रॉप करते हुए हम घर चलते हैं ।रास्ते में तीनो ढेरों बातें करते हुए जल्दी ही कुनिका के घर पहुँच गये ,कुनिका ने कॉफ़ी पीने के लिए अंदर चलने को कहा,पर माईरा ने घर जाने की ख़ुशी को रखते हुए फिर किसी दिन आने के वादे के साथ चली गयी ।कुनिका ने घर में अपने पापा माँ से अपने प्लेसमेंट के बारे में बताया ।कुनिका इकलौती बेटी थी ।कुनिका ने बताया उसे बंगलोर जाना पड़ेगा ।माँ पापा ख़ुश तो बहुत थे पर आँखे भी छलक उठी ये देख कुनिका ने कहा, ''मैं कहीं नही जाने वाली आप दोनो को छोड़कर ।मैं यहीं रहूँगी आप दोनो के साथ , फिर पापा आप भी वहीं ट्रांसफ़र ले लो न ,आपकी कम्पनी का ब्रांच भी है वहाँ वो लोग कब से वहाँ आपको शिफ़्ट होने को बोल भी रहे हैं ।पापा बेटी की ख़ुशी के लिए कुछ भी करने से माना नही करते ।समय के साथ सब चल रहा था, कुनिका ने कम्पनी भी ज्वाइन कर ली । कुनिका कैंटीन में लंच ले रही थी कि उसकी मुलाक़ात अयान से हुई, और कुनिका को तब पता चला जिस विभाग में वह काम कर रही है उसी में अयान भी है और वह उसका सीनियर है ।अयान के दिल में कुनिका की सादगी ने पहले ही जगह बना ली थी अब उसके काम के तरीक़े से वह बहुत प्रभावित भी हो गया था ।एक दिन अयान ने कुनिका से अपने दिल की बात कह दी ।कुनिका को भी कोई एतराज़ ना था दोनो के बीच प्रेम का पौधा रोपित हो चुका था ।कुनिका अयान को अपने घर भी ले गयी माँ पापा से मिलने के बाद दोनो घरों में ख़ुशी का रिश्ता जुड़ गया । कुछ औपचारिकताए भी पूरी कर दी गयीं और एक साल बाद शादी की तारीख़ भी तय कर ली गयी।दोनो ख़ुश थे और उनकी शामें भी साथ ही गुज़रने लगी और इसी तरह फरवरी फिर आ गयी और कुनिका एक दिन उसी बारिश की बूँदों को अपनी मुट्ठी में बंद करने की चाह में बूँदों से एक छोटे से बच्चे की तरह खेल रही थी अयान भी आज उसके साथ ही था ।अयान ने कुनिका से पूछा तुम्हें बारिश बहुत पसंद है न ?,''नही मुझे फरवरी पसंद है और इस मौसम में बारिश हो जाय तो सोने पर सुहागा''कुनिका बोली ।''मैंने तुम्हें पहली बार बारिश की बूँदों से खेलते देखा था तभी मुझे तुम से प्यार हो गया था पर मुझे लगता था मैं तुमसे कह पाउँगा या नही दुबारा हमारी मुलाक़ात होगी भी या नही ।पर क़िस्मत का खेल देखो आज तुम मेरी बाहों में हो ।मुझे ऐसा लगा था जैसे क़ुदरत की बनायी हुयी एक नायाब गुल हो तुम, हर चीज़ से बेपरवाह ख़ुद में खोयी हुई ऐसी ख़ूबसूरती मिलनी बहुत मुश्किल है ,पता नही ये नायाब गुल मेरी या किसी और की क़िस्मत का सितारा है ,सोच कर मैंने अपने मन को बहला लिया था ,और तुम फिर एक दिन अचानक मेरे सामने थी , कुनिका ने अयान से कहा ,'अब छोड़ो इन बातों को , कितना ख़ूबसूरत मौसम है प्रकृति के कण कण में कितना जोश और प्यार भरा हुआ है ।इधर आओ ,अपनी आँखों को बंद करो और अंदर एक सुकून को महसूस करो, तुम्हें इतनी ख़ूबसुरत दुनिया पहले कभी ना लगी होगी ।अयान ने आँखों को बंद किया और बोला कुनिका तुम मुझे छोड़ के कभी ना जाना , तुम पास हो तो मुझे ये दुनिया वैसे ही ख़ूबसूरत लगती है ।मैं तुमसे कभी दूर नही जाना चाहता इसीलिए तो मैंने बॉस को दुबई वाला ऑफ़र लेने से माना कर दिया ।क्या ?, ''कुनिका ने चौंक कर पूछा ।अयान ने बताया उसे प्रमोशन के साथ दुबई ऑफ़िस में भेजा जा रहा था पर उसने माना कर दिया ।कुनिका ने कहा ,''मैं तो तुमसे दूर रहने की कल्पना से ही सिहर उठती हूँ ,मैं जी ना सकूँगी तुम्हारे बिन ।बारिश भी बंद हो गयी थी दोनो घर चले गये थे । अगली सुबह अयान के बॉस ने अयान को दुबई जाने को फिर कहा ,उसने एक बार फिर अपनी बात दुहराई और अपनी शादी की बात भी बताई । बॉस ने कहा ,''कुछ ही दिनो की बात है , प्लीज़ ,अयान तुम चले जाओ मना ना करो । अयान इस बार मना न कर सका और दुबई जाने की तैयारी करने लगा । देर सारे वादे सपने और इरादे के साथ अयान कुनिका से दूर  एक अनजान देश जाने को ,कुनिका के ही साथ निकल पडा ,कुनिका नम आँखों से अयान को एयरपोर्ट छोड़ कर घर आ गयी तभी उसका फोन वाइब्रेट करने लगा देखा तो अयान की कॉल थी, उसने चेक इन और लगेज बुक्ड की बात बताई और बोला अभी फ्लाइट में टाइम है तो सोचा तुमसे बाते ही कर लूं घर पहुच गयी तुम ?अयान ने कुनिका से पूछा।हां गेट पर ही हूं,"कुनिका ने भारी मन से जबाब दिया।काश ..काश हम साथ होते तो कितना अच्छा था ,मैं तुम्हें बहुत मिस कर रहा हूँ कुनिका, मेरा मन तुम्हारे ही पास रहने का है जाने का नही कर रहा ।पर ..पर मज़बूर हूं,और जाना पड़ेगा अयान ने कुनिका से कहा । और बोला यहाँ हालत अच्छे दिख नही रहे हैं करोना  महामारी का असर भी दिख rha है देखो क्या होता है ?मुश्किल बढ़ेगी या घटेगी  देखो भविष्य किधर ले जाएगा । ''तुम सही सलामत वापस आ जाओ मैं तो इसके अलावा कुछ सोच ही नही पा रही हूँ ,समझ नही पा rhi हूँ छः महीने अकेले कैसे काटूँगी, ऑफ़िस भी तुम्हारे बिना काटने को दौड़ेगा । तभी अयान ने कहा, ''चलो  फोन रखता हूँ ,पहुच के तुम्हे कॉल करूँगा ।एक महीना बीतते-बीतते ही पूरी दुनिया करोना के चपेट में आ गयी और सारी फ्लाइट्स और सभी देशों ने अपनी-अपनी सीमायें सील कर दी ।सभी देशों ने lockdown लगा दिया ।खबरों से निकल महामारी हम सब के बीच अपने रंग दिखाने लगी ।हालात को देखते हुए अयान और कुनिका की शादी की तारीख भी आगे बढ़ानी पड़ी ।अब अपनो से मिलने और जुड़ने का माध्यम वीडियो कॉल ही था ।अयान और कुनिका भी जैसे ही वक़्त मिलता कॉल करते और अपने भावी जीवन के सपनो को रंग से भरते।आठ माह से ऊपर हो गया अयान दुबई में लॉकडाउन के दौरान घर मे बैठ कर आफिस और अपना घर प्यार से संभाले हुए था।आज अयान ने कुनिका से कहा," यार बोर हो गया हूं घर मे रह कर,बाहर जाने को जी करता है , अकेलेपन से जी घबराता है मेरा ,तुम साथ होती तो बात कुछ और होती ,कुनिका अपनी बातों से अयान का दिल भी बहला भी रही थी लेकिन बीच-बीच मे अयान बोल रहा था , ''पता  नही क्यों जी बहुत घबरा रहा है पता नही क्या होगा, कब इस बीमारी से मुक्ति मिलेगी कब कब ''। अयान ने कुनिका से कहा , ''अब तुम फोन रखो पापा की कॉल है उनसे बात करके फिर तुम्हे करता हूँ , कहीं जाना नही मेरा इंतज़ार करना ।अयान खुद में ही थोड़ा उलझा था समझ नही पा रहा था उसे क्या करना है ,और पापा की कॉल उठाया माँ पापा और माईरा से बातें करने लगा इधर उधर की बातें होती रही और इसी बीच अचानक अयान के हाथों से फोन गिर गया और अयान भी दूसरी ओर गिर पड़ा , पल भर में ही सब बदल गया ,बातें पूरी खत्म भी न हुई और अयान खत्म हो गया।पूरा परिवार चिल्लाता रहा पर अयान उठा नही । घरवालों का बुरा हाल और फिर वहां से अयान के मरने की खबर आई ,और इधर कुनिका उसके  फ़ोन का इंतज़ार करती रही उसे अयान का फ़ोन नही आया आया तो अयान की ज़िंदगी के ख़त्म होने ख़बर ।जिसने कुनिका  की ज़िंदगी और अयान के घर को बर्बाद कर दिया। अयान के पापा ने बड़ी कोशिश की ,कि बेटे की लाश किसी तरह अपने देश आ सके उसके आखिरी दर्शन हो सके पर समय ने उनसे इस दुख की घड़ी में वो भी छीन लिया।इस खबर ने कुनिका के जीवन के सारे रंग उड़ा दिए अब उसमें  न जीने की चाहत बची न ही कुछ भी करने का उमंग। कुनिका घर के बालकनी में खड़ी थी और अचानक बारिश भी आ गयी पर आज कुनिका को किसी मौसम किसी रौनक से कुछ न लेना देना था फिर भी उसके कदम खुद ब खुद बारिश की ओर चल पड़े । कुनिका ने आसमान की ओर देखना  चाहा पर जैसे बारिश की बूंदें उसकी पलकों को चूम कर कह रही थी कुनिका तू अकेली ही नही रो रही इस बिछड़न में अयान के भी आंसू हैं वह आसमान से अपनी पलकों की बूंदों को तुम्हारी हथेली में भर रहा है, तड़प पीड़ा दो असीम प्यार करने वालों के दिलों में बराबर है ,दोनो के आँसू बारिश की बूँदों  में मिलकर एक हो  गये थे ।कुनिका उसके इंतज़ार में आज फ़ोन लिए बैठी है ,जबकि वाह जानती है कि उधर से अब कुछ भी नही आने वाला और ये फरवरी जीवन का पतझड़ ले कर आयी और उसकी ज़िंदगी में हमेशा के लिए ठहर गयी है ।

कुछ अनुभूतियाँ 03

 अनुभूतियाँ 03


01

 रिश्ते नाते प्रेम नेह सब 

 शब्द बचे, निष्प्राण हुए हैं

 जाने क्यों ऎसा लगता है 

 मतलब के उपमान हुए हैं


02

राजमहल है मेरी कुटिया

दुनिया से क्या लेना देना,

मन में हो सन्तोष अगर तो

काफी मुझ को चना चबेना


03

कतरा क़तरा आँसू मेरे 

जीवन के मकरन्द बनेंगे

सागर से भी गहरे होंगे

पीड़ा से जब छन्द बनेंगे 


04

सबके अपने अपने  सपने

सब के अपने अपने ग़म हैं

 एक नहीं तू ही दुनिया में

आँखें रहती जिसकी नम हैं


-आनन्द.पाठक-


मंगलवार, 26 जनवरी 2021

गणतंत्र दिवस

 




वीर शहीदों की कुर्बानी 

याद रहे चिरकाल तक।

तिरंगे की अमर कहानी 

गूँजे हर एक माथ तक।

आज राष्ट्रगान गूँजा है

भविष्य बस  यशगान हो।

तिरंगे की तीन छटा -सा
 
समृद्धि ,प्रीति ,सम्मान हो।

 गणतंत्र की हर सुबह में  

एक संदेशा याद रहे।

कल भी पैदा होंगे भेदी 

वह निर्बल असहाय रहें।

शीश तना खड़ा हो ऊपर 

मानवता को झुक प्रणाम हो।

झंडे के समक्ष माथे पर हाथ

 हर सैनिक को सलाम हो।


देश व विदेश में बसे हर एक भारतवासी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

पल्लवी गोयल 

चित्र साभार गूगल



शनिवार, 23 जनवरी 2021

प्रणय - स्पर्श एक लिपि

 सुनो ....

क्या कहकर 

पुकारूं तुम्हे ?


चित्रकार ?

कि उकेरती है 

तुम्हारी उंगलियां 

कितने ही 

प्रणय के चित्र 

मेरी देह पे ...


या कहूं

जुलाहा तुम्हे   मैं?

कि 

तुम्हारे स्पर्श मात्र से 

उग आती है 

कितनी ही कहानियां 

मेरी देह पे 


तुम कहो तो कहूं 

एक आखेटक  तुम्हे ...

जिसकी उंगलियों की

आहट मात्र से 

उड़ने लगती है 

मेरी देह में 

रोमांच की 

कितनी ही तितलियां !!


या कहूं 

माहिगीर तुम्हे ?

कि 

मेरी देह की 

नदी में 

तैरती है 

तुम्हारे देह की 

गंध वाली मछलियां ....



सुनो ...

ओ चित्रकार...

ओ जुलाहे ...

आखेटक मेरे यौवन के

या माहीगीर मेरे !!!


आओ लिखे हमतुम 

एक प्रणय गाथा ...

संसार की 

सबसे पुरातन लिपि में ...

देह और 

उंगलियों की लिपि में 

इक  अशेष गाथा ...

जो युगों युगों से 

कहती रहीं है पीढ़ियां 

और कहती रहेंगी 

आने वाली पीढ़ियां भी  ...

आदि से 

अनंत काल तक !!

शुक्रवार, 22 जनवरी 2021

चन्द माहिए --

 चन्द माहिए


:1:
सजदे में इधर हैं हम
और उधर दिल है
दर पर तेरे जानम

;2;
जब से है तुम्हें देखा
दिल ने कब मानी
कोई लछ्मन  रेखा

:3:
क्या बात हुई ऐसी
दिल में अब तेरे
चाहत न रही वैसी

:4:
समझो न ये पानी है
क़तरा आँसू का
ख़ुद एक कहानी है

5
इक राह अनोखी है
जाना है सब को
पर किसने देखी है ?

-आनन्द पाठक-

शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

एक हास्य व्यथा : दीदी ! नज़र रखना

 

एक हास्य-व्यथा  : दीदी ! नज़र रखना

 

"ट्रिन! ट्रिन !ट्रिन !-फोन की घंटी बजी और श्रीमती ने आदतन फ़ोन उठाया।

कहते हैं श्रीमती जी फ़ोन सुनती नहीं, ’सूँघती’ है और समझ लेती हैं कि किसका  होगा।

"हाँ  बिल्लो बोल  !"

"क्या दीदीऽऽ! तुम भी न! अरे ;बिल्लो नहीं --बिट्टो बोल रही हूँ।बिट्टो।

;अरे हाँ रे  । तेरे "टुल्ले" जीजा को "लुल्ले " बोलते बोलते ’ट’ को ’ल’ बोल जाती हूँ न।हाँ बोल ।

" दीदी, मेरी बातें ध्यान से सुनना। आजकल जीजा के चाल चलन ठीक नहीं लग रहा है। तुम  तो ’फ़ेस बुक’ पर हो

नहीं। मगर मैं उनका हर पोस्ट पढ़ती हूँ । जाने किसे कैसे कैसे  गीत ग़ज़ल पोस्ट कर रहे हैं आजकल।मुझे तो  दाल में

कुछ काला लग रहा है ।  हाव भाव ठीक नहीं लग रहा हैउअनका। पिछले महीने एक रोमान्टिक गीत पोस्ट किया था ।

लिखा था-

खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें चलो बाग़ में

प्यार से है भरा दिल,छलक जाएगा

 

 ये लचकती महकती हुई डालियाँ

 झुक के करती हैं तुमको नमन, राह में

 हाथ बाँधे हुए सब खड़े फ़ूल  हैं

 बस तुम्हारे ही दीदार  की  चाह में

 

यूँ न लिपटा करों शाख़  से पेड़  से

मूक हैं भी तो क्या ? दिल धड़क जायेगा

 

पता नहीं किसको घुमा रहे हैं  गार्डेन में,आजकल ?

 

’अरे ! ऊ का घुमायेंगे किसी को, कंजड़ आदमी । मुझे तो कभी घुमाया नहीं "--श्रीमती जी ने प्रतिवाद किया

और मैंने चैन की साँस ली ।

 

बिट्टो ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा-"कल एक गीत पोस्ट किया है जीजा ने" । लिखा है

 

कैसे कह दूँ कि अब तुम बदल सी गई

वरना क्या  मैं समझता नहीं  बात क्या !

 

  एक पल का मिलन ,उम्र भर का सपन

  रंग भरने का  करने  लगा  था जतन

  कोई धूनी रमा , छोड़ कर चल गया

  लकड़ियाँ कुछ हैं गीली बची कुछ अगन

 

कोई चाहत  बची  ही नहीं दिल में  अब

अब बिछड़ना भी  क्या ,फिर मुलाक़ात क्या !

वरना क्या मैं समझता----

 

लगता है जिसको घुमा रहे थे ,वो छॊड़ कर भाग गई । कभी कभी फ़ेसबुक भी चेक कर लिया करो इनका।

मुझे तो कुछ लफ़ड़ा लग रहा है । ज़रा कड़ी नज़र रखना जीजा पर ।

 

" हाँ बिट्टो ! मुझे भी कुछ कुछ ऐसा लग रहा है ।पिछले हफ़्ते बाथरूम में एक फ़िल्मी गाना गा रहे थे।

 

किसी राह में ,किसी मोड़ पर

 --कहीं चल न देना तू छोड़ कर । मेरे हम सफ़र ! मेरे हम सफ़र

 

किसी हाल में ,किसी बात पर

कहीं चल न देना तुम छोड़ कर---मेरे हम सफ़र ! मेरे हम सफ़र !

 

पता नही किस को छोड़ने की बात कर रहे थे।

मैने टोका भी आजकल बड़े गाने बज़ाने हो रहे हैं जनाब के तो ।

बोले कितना सुन्दर गाना है।।मैने पूछा कौन ? , गाना ? कि गानेवाली ?

तो कहने लगे कि तुम्हारे दिमाग़ में  तो कचड़ा भरा है ।मोदी जी को एक सफ़ाई अभियान इधर भी शुरु

कर देना चाहिए ।

अभी कल ही एक गाना  सुना उनका ।आँख बन्द कर बड़े धुन में गा रहे थे।

 

-ऎ मेरे दिल-ए-नादाँ--तू ग़म से न घबराना

इक दिन तो समझ लेगी --दुनिया तेरा अफ़सान

 

मुझे भी कुछ ठीक नहीं लग रहा है,आजकल । पता नहीं कौन सा अफ़साना दुनिया को समझा रहे थे।

c

बिट्टो ने अपनी लगाई बुझाई जारी रखते हुए कहा--" !कल ही जीजा का एक पोस्ट देखा था,लिखे थे।

 

जब से छोड़ गई तुम मुझको

सूना सूना  दिल का कोना ।

साथ भला तुम कब तक चलती

आज नहीं तो कल था होना ।

 

दीदी !’इनके’ दोस्त कह रहे थे कि सरकारी सेवा से रिटायर हुआ आदमी खुल्ला सांड  हो जाता है ।गले से ’Conduct Rules ’ का  पगहा Rules 14,16 का फ़न्दा  छूट जाता है|
सारे बुड्ढे कहते हैं कि मस्ती की जिन्दगी तो 60 के बाद शुरु होती है।हमे तो डर लग रहा है कि जीजा कहीं नई ज़िन्दगी न शुरु कर दें 

 

"अरे ! तू चिन्ता न कर बिट्टो ! ये लिखना पढ़ना गाना बजाना  जितना कर लें। मगर जा कहीं नही  सकते ।कुछ तो ’करोना’ ने क़ैद कर दिया,

कुछ मैने ’क़ैद-ए-बा मशक़्कत ’ कर दी है॥ मटर छिलवाती हूँ ,प्याज कटवाती हूँ ।कभी कभी तो ’झाड़ू पोछा’ भी करवा लेती हूँ इन से।

 "पर कटा पंक्षी" बना दिया है इनको । " पर कटा पक्षी " फ़ुद्क तो सकता है उड़ नहीं सकता ।

 

अरे! तो कहीं फ़ुदकते फ़ुदकते ही न निकल जाए _-- कह कर बिट्टो ने फ़ोन रख दिया ।छ

 

-आनन्द.पाठक-

शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

कुछ अनुभूतियाँ :01

   कुछ अनुभूतियाँ :01


01 

तुम प्यार बाँटते चलती हो

सद्भाव ,तुम्हारी चाह अलग

दुनिया को इस से क्या मतलब

दुनिया की अपनी राह अलग

 

02 

वो वक़्त गया वो दिन बीता

कलतक जो मेरे अपने  थे

मौसम बदला वो ग़ैर हुए

 इन आँखों के जो सपने  थे

 

03 

ग़ैरों के सितम पर क्या कहते

अपनों ने सितम जब ढाया है

अच्छा ही हुआ कि देख लिया

है अपना कौन पराया  है

 

04 

दर्या में कश्ती  आ ही गई

लहरों के थपेड़े ,साहिल क्या

तूफ़ान बला से क्या डरना

फिर हासिल क्या,लाहासिल क्या


-आनन्द.पाठक-

सोमवार, 4 जनवरी 2021

एक ग़ज़ल : तेरे हुस्न की सादगी का---

 ग़ज़ल  : तेरे हुस्न की सादगी---


तेरे हुस्न की  सादगी  का असर है
न मैं होश में हूँ ,न दिल की ख़बर है

यूँ चेहरे से पर्दा   गिराना ,उठाना
इसी दम से होता है शाम-ओ-सहर है

सवाब-ओ-गुनह का मै इक सिलसिला हूँ
अमलनामा भी तेरी ज़ेर-ए-नज़र है

गो पर्दे में  है  हुस्न  फिर भी  नुमायाँ
कि रोशन है ख़ुरशीद,रश्क-ए-क़मर है

जो जीना है जी ले हँसी से , ख़ुशी से
मिली जिन्दगी है ,भले मुख़्तसर  है

क़यामत से पहले क़यामत है बरपा
वो बल खा के, लहरा के आता इधर है

नवाज़िश बड़ी आप की है  ये,साहिब !
जो पूछा कि ’आनन’ की क्या कुछ ख़बर है ?

-आनन्द.पाठक-