मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

रविवार, 26 जुलाई 2020

ग़ज़ल (कोरोना का क्यों रोना है)

2*8

कोरोना का क्यों रोना है,
हाथों को रहते धोना है।

दो गज की दूरी रख कर के,
सुख की नींद हमें सोना है।

बीमारी है या दुनिया पर,
ये चीनी जादू टोना है।

यह संकट भी टल जायेगा,
धैर्य हमें न जरा खोना है।

तन मन का संयम बस रखना,
चाहे फिर हो जो होना है।

कोरोना की बंजर भू पर,
हिम्मत की फसलें बोना है।

चाल नमन गहरी ये जिससे,
पीड़ित जग का हर कोना है।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

एक ग़ज़ल ; दीदार-ए-हक़ में ---

एक ग़ज़ल : दीदार-ए-हक़ में

दीदार-ए-हक़ में दिल को अभी ताबदार कर
दिल-नातवाँ को और ज़रा बेक़रार  कर

गुमराह हो रहा है भटक कर इधर उधर
इक राह-ए-इश्क़ भी है वही इख़्तियार कर

कब तक छुपा के दर्द रखेगा तू इस तरह
अब वक़्त आ गया है इसे आशकार  कर

कजरौ ! ये पैरहन भी इनायत किसी की है
हासिल हुआ है गर तुझे तो आबदार कर

हुस्न-ए-बुताँ की बन्दगी गर जुर्म है ,तो है
ऎ दिल ! हसीन  जुर्म  ये  तू बार बार कर

ऎ शेख ! सब्र कर तू , नसीहत न कर अभी
आता हूँ मैकदे से ज़रा इन्तिज़ार  कर

दुनिया हसीन है ,कभी तू देख तो सही
आनन’ न ख़ुद को हर घड़ी तू अश्कबार कर

-आनन्द.पाठक-

शब्दार्थ --

आशकार      = ज़ाहिर
कज रौ = ऎंठ कर चलनेवाला
पैरहन = लिबास
आबदार =चमकदार /पानीदार
हुस्न-ए-बुताँ की = हसीनों की
नासेह = नसीहत करने वाला
अश्कबार = आँसू बहाना

सोमवार, 13 जुलाई 2020

आलेख "डिप्रेशन क्यों होता है?" (गरिमा पन्त)

डिप्रेशन क्यों होता है?
(गरिमा पन्त)
       डिप्रेशन क्यों होता हैयह बहुत ही विचारणीय प्रश्न है। जब कोई दुखों में डूब जाता है, सारी दुनिया उसे काली लगने लगती है, तब व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। अवसाद का अर्थ मनोभावों से सम्बन्धी दुःख से होता है। अधिकतर यह देखा गया की जो प्रेम में ज्यादा डूबा है, और उसे उसका प्रेम नहीं मिला है, तो वह अवसाद में डूब जाता है। अवसाद की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार समझता है, प्रेम ही नहीं वरन आज की परिस्थियों को देखते हुए बहुत सारे कारण अवसाद के होते है। अवसाद के कारण नींद नहीं आती है। विश्व सवास्थ्य संगठन के अनुसार अवसाद बहुत सामान्य बीमारी है। इस बीमारी का समय ६-८ महीने रहता है, अगर आपके किसी बहुत प्रिय की मृत्यु हो जाये और आप दुखी है, तो यह स्वाभाविक प्रक्रिया है और उसके दुःख में आप बहुत भावुक रहते है तो आप अवसाद का शिकार होते है। अगर आप जीवन में खालीपन महसूस कर रहे है तो अवसाद में है एक सर्वे के अनुसार महिलाओ को जल्दी अक्साद होता है पुरुषो के अपेक्षा मानसिक रोग पागलपन नहीं है
         जब कोई अवसाद का शिकार हो तो उसे गाना सुनना चाहिए, मस्ती करनी चाहिए। जीवन के हर क्षण का मजा लेना चाहिए, उसे कभी अकेले नहीं रहना चाहिए। उसे प्रकृति से बात करनी चाहिए। जीवन के हर छण में आनद की अनुभूति करनी चाहिए। सामाजिक मेल-जोल जयादा बढ़ाना चाहिए नकारात्मक लोगो के पास नहीं रहना चाहिए, सुबह शाम धूप लेनी चाहिए।
         कसरत करने से भी अवसाद दूर होता है आप जितना मस्त रहेंगे, उतना ही अवसाद से दूर रहेंगे। संतुलित आहार में अगर आप विटामिन डी लेते है तो बहुत अच्छा रहता है शराब और ऐसी किसी वस्तु से दूर रहें जो हानि पहुँचाती हो। खुद को दोष न दें जिंदगी बहुत ख़ूबसूरत है और एक ही बार मिली है तो मस्त रहें और सबसे बड़ी बात अपने को व्यस्त रखें, जितना व्यस्त आप होंगे उतना ही कुछ सोच नहीं पायेंगे और ज्यादा से ज्यादा लोगो से मिलिए और हर समय सीखिए। दुनिया से जुड़िये, हर किसी से सकारत्मक बात करिए अपने जो करीबी उनसे बात करिये, बच्चों के साथ मस्ती करें, अपना बचपन याद करें, कभी कभी उनकी तरह हरकत करें। अवसाद बहुत दूर हो जायेगा।
      जिन्दगी बहुत कीमती है उसे खुशहाल रखें, दुनिया में कुछ नहीं रखा है और न ही आप धन दौलत अपने साथ ले जाने वाले है। जब शरीर आप साथ नहीं ले जा सकते तो बाकि क्या ले जा पायेंगे। जो कुछ आज है, अभी है। कल किसने देखा है। अतः दूसरों को ख़ुशी देने के बाद जो मन को संतुष्टि मिलती है वो बहुत सारी धन दौलत पाकर भी नहीं मिलती है।
     यदि आपने कभी कोई पुरस्कार पाया है तो उस लम्हे को याद करिये। आप अपने आत्मविश्वास को कभी कम मतआँकिये। सदैव यह सोचें की मुझसे अच्छा कोई नहीं है इस दुनिया में। आप अपने को पहचाने अपनी क़ाबलियत को पहचाने और धीरे-धीरे अपना काम दुबारा शरू करें। आप कभी अवसादग्रस्त नहीं होंगे।
गरिमा पन्त
लखनऊ