ए चांद ये सुना है
तुम जिहादी हो गए हो
चौदहवीं के चांद थे तुम
अब ईद के ही हो गए हो !!
तुम तो थे प्रीतम की
रचना का सुंदर मुखड़ा
सुना है मुफलिसी की
रोटी भी हो गए हो !
चौदहवीं के चांद थे तुम
क्यों ईदके ही हो गए हो
नीले से नभ पे तुम तो
तारों में जी रहे थे
हरहरा कर के अब तुम
दुश्मनी क्यूं बो रहे हो ?
चौदहवीं के चांद थे तुम
क्यूं ईद के ही हो रहे हो
ए चांद तुम भी
Leftist से हो रहे हो !
सजते थे सदा तुम
महाकाल की जटा में
कैसी किस की ये आज़ादी
क्यों जिहादी रहे हो ?
ए चांद तुम तो
अब लिफ्टिस्ट से हो रहे हो !!
चौदहवीं के चांद थे तुम
क्यूं ईद के ही हो रहे हो
तुम जिहादी हो गए हो
चौदहवीं के चांद थे तुम
अब ईद के ही हो गए हो !!
तुम तो थे प्रीतम की
रचना का सुंदर मुखड़ा
सुना है मुफलिसी की
रोटी भी हो गए हो !
चौदहवीं के चांद थे तुम
क्यों ईदके ही हो गए हो
नीले से नभ पे तुम तो
तारों में जी रहे थे
हरहरा कर के अब तुम
दुश्मनी क्यूं बो रहे हो ?
चौदहवीं के चांद थे तुम
क्यूं ईद के ही हो रहे हो
ए चांद तुम भी
Leftist से हो रहे हो !
सजते थे सदा तुम
महाकाल की जटा में
कैसी किस की ये आज़ादी
क्यों जिहादी रहे हो ?
ए चांद तुम तो
अब लिफ्टिस्ट से हो रहे हो !!
चौदहवीं के चांद थे तुम
क्यूं ईद के ही हो रहे हो