[ शनै: शनै: हम आ ही गए ,आगत और अनागत के मुख्य द्वार पर,जहाँ जाने वाले वर्ष की
कुछ विस्मरणीय स्मृतियाँ हैं तो आने वाले नववर्ष से कुछ आशाएँ हैं। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है
एक गीत---
नए वर्ष पर एक गीत : आशाओं की नई किरण से---
आशाओं की नई किरण से, नए वर्ष का स्वागत -वन्दन ,
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
ग्रहण लग गया विगत वर्ष को
उग्रह अभी नहीं हो पाया ।
बहुतों ने खोए हैं परिजन ,
"कोविड’ की थी काली छाया ।
इस विपदा से कब छूटेंगे, खड़ी राह में बन कर अड़चन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
देश देश आपस में उलझे
बम्ब,मिसाइल लिए खड़े हैं ।
बैठे हैं शतरंज बिछाए ,
मन में झूठे दम्भ भरे हैं ।
ऐसा कुछ संकल्प करें हम, कट जाए सब भय का बन्धन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
धुंध धुआँ सा छाया जग पर
साफ़ नहीं कुछ दिखता आगे ।
छँट जाएँगे काले बादल ,
ज्ञान-ज्योति जब दिल में जागे ।
हम सब को ही एक साथ मिल ,करना होगा युग-परिवर्तन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
मानव-पीढ़ी रहेगी ज़िन्दा ,
जब तक ज़िन्दा हैं मानवता ।
सत्य, अहिंसा ,प्रेम, दया का
जब तक दीप रहेगा जलता ।
महकेगा यह विश्व हमारा ,जैसे महके चन्दन का वन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
-आनन्द.पाठक--