अनुभूतियाँ 04
क़तरा क़तरा दर्द हमारा,
हर क़तरे में एक कहानी ।
शामिल है इसमे दुनिया की
मिलन-विरह की कथा पुरानी ।
02
जब से छोड़ गई तुम मुझ को
सूना दिल का कोना
कोना ।
कब तक साथ भला तुम चलती,
आज नहीं तो कल था होना ।
03
इतना सितम न ढाओ मुझ पर
टूट गया तो जुड़ न सकूँगा ।
लाख करोगी कोशिश तो भी,
चला गया तो मुड़ न सकूँगा ।
फूल-गन्ध का रिश्ता क्या है ?
तुम ने कभी नहीं जाना
है ।
जीवन भर का साथ हमारा
लेकिन कब तुम ने माना है ।
-आनन्द.पाठक-
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद आप का -सादर
हटाएंक़तरा क़तरा दर्द हमारा,
जवाब देंहटाएंहर क़तरे में एक कहानी ।
शामिल है इसमे दुनिया की
मिलन-विरह की कथा पुरानी ।
....विशिष्टताओं को समेटे, विरह की नई कथा पर वही व्यथा।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय आनन्द जी।
आभार आप का
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आप का
हटाएंसादर