[*आज 16-फ़रवरी ,वसंत पंचमी और ’सरस्वती पूजन’ का दिन ।
इस शुभ अवसर पर रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ* । आशीर्वादाकांक्षी हूँ ।
सरस्वती वंदना
हंसवाहिनी ! ज्ञानदायिनी ! ज्ञान कलश भर दे !
माँ शारदे वर दे ।
मिटे तमिस्रा कल्मष मन का
मन निर्मल कर दो जन जन का
वीणापाणी ! सिर पर मेरे,वरद हस्त धर दे!
माँ!वागेश्वरी ! वर दे !
अंधकार पर विजय लिखे यह
सच के हक़ में खड़ी रहे यह
निडर लेखनी चले निरन्तर ,धार प्रखर कर दे !
!माँ भारती ! वर दे !
सप्त तार वीणा के झंकृत
हो जाते सब राग अलंकृत
बहे कंठ से स्वर लहरी माँ, राग अमर कर दे !
माँ सरस्वती ! वर दे ।
-आनन्द.पाठक-
[आप सभी को सपरिवार वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!!]
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-02-2021) को "बज उठी वीणा मधुर" (चर्चा अंक-3980) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आभार आप का
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अनुपम !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप का
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सुंदर वंदना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप का
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सुन्दर प्रार्थना..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप का
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