मैं 'ज़िंदगी' ...
चलिए .... आज थोड़ी गुफ्तगू करते है .... थोड़ा मुझ से ... थोड़ा सा खुद से .. खुद को रूबरू करते है ... बस आप कहे ... और मैं सुनूं ... चलिए न .. आज.... थोड़ा यूं करते है !! आज कुछ खुद से कुछ ज़िंदगी से ऐसी ही खूबसूरत आरज़ू करते है !!
मित्रों! आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-03-2021) को "देख तमाशा होली का" (चर्चा अंक-4019) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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रंगों के महापर्व होली और विश्व रंग मंच दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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अति उत्तम
जवाब देंहटाएंमुग्ध करती रंग बिखेरती रचना - - शुभकामनाओं सह।
जवाब देंहटाएंमैं 'ज़िंदगी' ...
जवाब देंहटाएंचलिए ....
आज थोड़ी गुफ्तगू करते है ....
थोड़ा मुझ से ...
थोड़ा सा खुद से ..
खुद को रूबरू करते है ...
सार्थक रचना आज व्यक्ति के पास कहां समय है अपने लिए
सुंदर अभिव्यक्ति
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