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शुक्रवार, 26 मार्च 2021

मैं ज़िंदगी

 मैं 'ज़िंदगी' ...

चलिए .... आज थोड़ी गुफ्तगू करते है .... थोड़ा मुझ से ... थोड़ा सा खुद से .. खुद को रूबरू करते है ... बस आप कहे ... और मैं सुनूं ... चलिए न .. आज.... थोड़ा यूं करते है !! आज कुछ खुद से कुछ ज़िंदगी से ऐसी ही खूबसूरत आरज़ू करते है !!

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-03-2021) को   "देख तमाशा होली का"   (चर्चा अंक-4019)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --  
    रंगों के महापर्व होली और विश्व रंग मंच दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  2. मुग्ध करती रंग बिखेरती रचना - - शुभकामनाओं सह।

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  3. मैं 'ज़िंदगी' ...

    चलिए ....
    आज थोड़ी गुफ्तगू करते है ....
    थोड़ा मुझ से ...
    थोड़ा सा खुद से ..
    खुद को रूबरू करते है ...

    सार्थक रचना आज व्यक्ति के पास कहां समय है अपने लिए

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