चन्द माहिया : क़िस्त 30
:1:
तुम से जो जुड़ना है
इस का मतलब तो
अपने से बिछुड़ना है
:2:
आने को तो आ जाऊँ
रोक रहा कोई
मैं कैसे ठुकराऊँ
:3:
इक लफ़्ज़ मुहब्बत है
जिसकी ख़ातिर में
दुनिया से अदावत है
:4;
दीदार हुआ जब से
जो भी रहा बाक़ी
ईमान गया तब से
:5:
जब तू ही मिरे दिल में
ढूँढ रहा किस को
मैं महफ़िल महफ़िल में
आनन्द.पाठक
09413395592
:1:
तुम से जो जुड़ना है
इस का मतलब तो
अपने से बिछुड़ना है
:2:
आने को तो आ जाऊँ
रोक रहा कोई
मैं कैसे ठुकराऊँ
:3:
इक लफ़्ज़ मुहब्बत है
जिसकी ख़ातिर में
दुनिया से अदावत है
:4;
दीदार हुआ जब से
जो भी रहा बाक़ी
ईमान गया तब से
:5:
जब तू ही मिरे दिल में
ढूँढ रहा किस को
मैं महफ़िल महफ़िल में
आनन्द.पाठक
09413395592
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