मित्रों! आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 12 सितंबर 2017
Laxmirangam: दीपा
Laxmirangam: दीपा: दीपा हर दिन की तरह मुंबई की लोकल ट्रेन खचाखच भरी हुई थी. यात्री भी हमेशा की तरह अंदर बैठे , खड़े थे. गेट के पास कुछ यात्री हेंडल पकड़े ...
![](http://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEisErytrtndYk9ltv-cOKTN-Lmo1j-V8BJ4sciBfrrCSUhMTfWKtgI-8mRCznv7o9Ugzggv2l7ZKH_48w54ct6IzU8KodmFDuVFZHLUJP39CH9EvT1OsNca4zW9f-L8Uw/s64/IMG-20171116-WA0016.jpg)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें