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रविवार, 5 नवंबर 2017

चिड़िया: जीवन - घट रिसता जाए है...

चिड़िया: जीवन - घट रिसता जाए है...: जीवन-घट रिसता जाए है... काल गिने है क्षण-क्षण को, वह पल-पल लिखता जाए है... जीवन-घट रिसता जाए है । इस घट में ही कालकूट विष, अमृत है इस...

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (06-11-2017) को
    "बाबा नागार्जुन की पुण्यतिथि पर" (चर्चा अंक 2780)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. सादर प्रणाम आदरणीय । हार्दिक धन्यवाद ।

      हटाएं