चन्द माहिया : क़िस्त 45
:1:
सब ग़म के भँवर में हैं
कौन किसे पूछे
सब अपने सफ़र में हैं
;2:
अपना ही भला देखा
देखी कब मैने
अपनी लक्षमन रेखा
:3:
माया की नगरी में
बाँधोंगे कब तक
इस धूप को गठरी में
:4:
होठों पे तराने हैं
आँखों में किसके
बोलो .अफ़साने हैं
:5:
आँखों में शरमाना
दिल मे कुछ तो है
रह रह के घबराना
-आनन्द.पाठक-
:1:
सब ग़म के भँवर में हैं
कौन किसे पूछे
सब अपने सफ़र में हैं
;2:
अपना ही भला देखा
देखी कब मैने
अपनी लक्षमन रेखा
:3:
माया की नगरी में
बाँधोंगे कब तक
इस धूप को गठरी में
:4:
होठों पे तराने हैं
आँखों में किसके
बोलो .अफ़साने हैं
:5:
आँखों में शरमाना
दिल मे कुछ तो है
रह रह के घबराना
-आनन्द.पाठक-
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-06-2018) को "मत सीख यहाँ पर सिखलाओ" (चर्चा अंक-2991) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
जी धन्यवाद आप का
हटाएंसादर