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शनिवार, 23 मार्च 2019


जागो मतदाता, जागो
दो एक वर्षों से कई राजनेता सेना के जवानों का अपमान करने की होड़ में लगे हैं.
इन में से एक भी राजनेता ऐसा नहीं है जो सियाचिन की ठंड या रेगिस्तान की चिलचिलाती धूप में आधा घंटा भी रह पाए. जिन कठिनायों का सामना सीमा पर तैनात एक जवान करता है उसका इन्हें रत्ती भर भी अहसास नहीं है.
और आश्चर्य की बात तो यह कि इन सब लोगों को एक्स या वाई या जेड केटेगरी की सुरक्षा मिल हुई है. इनकी जीवन शैली मुगलिया सल्तनत के नवाबों जैसी है. सब का खर्च हम लोग उठाते हैं, वह भी जो दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से जुटा पाते हैं.  
यह सम्मानित लोग एक सैनिक का अपमान करने में कभी हिचकते नहीं हैं, क्योंकि हम लोग उन्हें ऐसा करने देते हैं. हम लोग उनकी अभद्र और अपमानजनक बातें सुन कर तालियाँ बजाते हैं और वोट देकर उन्हें विधान सभा या लोकसभा पहुंचाते हैं.
किसी भी देश में ऐसा व्यक्ति जो सेना का अपमान करता है राजनीति में टिक नहीं सकता. पर हमारे देश में ऐसे नेता वर्षों तक राजनीति में फलते-फूलते हैं और खूब उन्नति करते हैं.
दोष हमारा है, इन नेताओं का नहीं. अगर हमें अपनी सेना पर गर्व होता, अगर हमें अपने सैनिकों पर अभिमान होता, अगर सैनिकों और उनके परिवारों के बलिदान के महत्व को हम समझते तो ऐसे नेताओं को हम एक पल के लिए भी राजनीति में सहन न करते. दोष हमारा है कि ऐसे लोगों को हम ने अपना सिरमौर बना कर रखा है.
लेकिन शीघ्र ही हमें अवसर मिलने वाला है. इन नेताओं को स्पष्ट जता देना होगा कि हमें अपनी सेना पर विश्वास है, अपनी सेना पर अभिमान है और उनके बलिदान को हम अपमानित न होने देंगे. इस अवसर हाथ से न जाने दें.
और आइये मिलकर एक मुहीम शुरू करें, और अपनी सेना के सम्मान की रक्षा करें.


6 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. धन्यवाद, आइये सब मिलकर मतदाताओं को सचेत करें

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-03-2019) को "सबके मन में भेद" (चर्चा अंक-3284) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. सही कहा आपने। सेना का अपमान निंदनीय है। मतदाता को जागरुक करता लेख। आपको बधाई।

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