एक ग़ज़ल : जब भी शीशे का इक मकां देखा---
जब भी शीशे का इक मकां देखा
पास पत्थर की थी दुकां, देखा
दूर कुर्सी पे है नज़र जिसकी
उसको बिकते जहाँ तहाँ देखा
वादा करता वो कस्में खाता है
पर निभाते हुए कहाँ देखा
जब कभी ’रथ’ उधर से गुज़रा है
बाद बस देर तक धुआँ देखा
कल तलक जो भी ताजदार रहा
मैने उसका नहीं निशां देखा
आदमी यूँ तमाम देखे हैं
’आदमीयत’ नहीं अयाँ देखा
सच को ढूँढें कहाँ, किधर ’आनन’
झूठ का बह्र-ए-बेकराँ देखा
=आनन्द.पाठक-
[बह्र-ए-बेकरां = अथाह सागर]
जब भी शीशे का इक मकां देखा
पास पत्थर की थी दुकां, देखा
दूर कुर्सी पे है नज़र जिसकी
उसको बिकते जहाँ तहाँ देखा
वादा करता वो कस्में खाता है
पर निभाते हुए कहाँ देखा
जब कभी ’रथ’ उधर से गुज़रा है
बाद बस देर तक धुआँ देखा
कल तलक जो भी ताजदार रहा
मैने उसका नहीं निशां देखा
आदमी यूँ तमाम देखे हैं
’आदमीयत’ नहीं अयाँ देखा
सच को ढूँढें कहाँ, किधर ’आनन’
झूठ का बह्र-ए-बेकराँ देखा
=आनन्द.पाठक-
[बह्र-ए-बेकरां = अथाह सागर]
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-04-2019) को "दया करो हे दुर्गा माता" (चर्चा अंक-3305) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
दुर्गाअष्टमी और श्री राम नवमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Bahut Bahut Dhanyvaad aap ka
हटाएंsaadar
बहुत सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंaap ke duaa hai
हटाएंsaadar
लाजवाब ... क्या कहने
जवाब देंहटाएंjee
हटाएंaap ki Kripa
saadar
बढ़िया ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंaap kaa Aasheervaad hai Bus
हटाएंsaadar
जब भी शीशे का इक मकां देखा
जवाब देंहटाएंपास पत्थर की थी दुकां, देखा
बहुत खूब. .....
aap kaa bahut bahut dhanyavaad
हटाएंsadar
Ghazal ke bahane aapne duniya ki haqiqat bayan kar di. Badhayi.
जवाब देंहटाएंShayad ye bhi Aapko pasand aayen- Prevention of thermal pollution , Images of acid rain
ati sunder gazal
जवाब देंहटाएंYou may like - Earn Lots of Money through Blogging Using StackSocial