चन्द माहिए --
:1:
तुम से गर जुड़ना है
मतलब है इस का
बस ख़ुद से बिछुड़ना है
:2:
आने को आ जाऊँ
रोक रहा कोई
कैसे मैं ठुकराऊँ ?
:3:
इक लफ़्ज़-ए-मुहब्बत है
जिस के लिए मेरी
दुनिया से अदावत है
:4;
दीदार हुआ जब से
जो भी रहा बाक़ी
ईमान गया तब से
5
जब तू ही मेरे दिल में
ढूँढ रहा हूँ मैं
फिर किस को महफ़िल में ?
-आनन्द.पाठक-
सुन्दर माहिए।
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद आप का -सादर
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 22 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं्बहुत बहुत धन्यवाद अग्रवाल जी --सादर
हटाएंशानदार लेखन
जवाब देंहटाएंआशीर्वाद आप का--सादर
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार आप का--सादर
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकृपा आप की--सादर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंवाह!
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