एक ग़ज़ल : लोग क्या क्या नहीं --
लोग क्या क्या नहीं कहा करते
जब कभी तुमसे हम मिला करते
इश्क़ क्या है ? फ़रेब खा कर भी
बारहा इश्क़ की दुआ करते
ज़िन्दगी क्या तुम्हे शिकायत है
कब नहीं तुम से हम वफ़ा करते
दर्द अपना हो या जमाने का
दर्द सब एक सा लगा करते
हाथ औरों का थाम ले बढ़ कर
लोग ऐसे कहाँ मिला करते
इश्क़ उनके लिए नहीं होता
जो कि अन्जाम से डरा करते
दर्द अपना छुपा के रख ’आनन’
लोग सुनते है बस,हँसा करते
-आनन्द पाठक-
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (07-01-2019) को "मुहब्बत और इश्क में अंतर" (चर्चा अंक-3209) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
धन्यवाद आप का
हटाएंसादर
सुंदर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.blogspot.in
jee Dhanyvaad aap kaa
हटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंजी ,बहुत बहुत धन्यवाद सादर
हटाएंआनन्द पाठक