चन्द माहिया : क़िस्त 34
:1:
पूछा तो कभी होता
दिल से जो मेरे
ये, किस के लिए रोता ?
:2:
सोने भी नहीं देतीं
यादें अब तेरी
रोने भी नहीं देतीं
:3:
क्यों मन से हारे हो ?
जीते जी मर कर
अब किस के सहारे हो?
:4:
ग़ैरों की सुना करते
मेरी कब सुनते
जो तुम से गिला करते
:5:
मुश्किल की पहल आए
सब्र न खो देना
इक राह निकल आए
-आनन्द पाठक
08800927181
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (19-09-2016) को "नमकीन पानी में बहुत से जीव ठहरे हैं" (चर्चा अंक-2470) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'