चन्द माहिए---
1
रिश्तों की तिजारत में
ढूँढ रहे हो क्या
नौ फ़स्ल-ए-रवायत में ?
2
क्या वस्ल की रातें थीं
और न था कोई
हम तुम थे,बातें थीं
3
कुरसी से रहा चिपका
कैसे मैं जानूँ
यह ख़ून बहा किसका ?
4
अच्छा न ,बुरा जाना
दिल ने कहा जितना
उतना ही सही माना
5
वो आग लगाते हैं
फ़र्ज़ मगर अपना
हम आग बुझाते हैं
-आनन्द.पाठक--
सुन्दर
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद आप का
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-09-2020) को "सफ़ेदपोशों के नाम बंद लिफ़ाफ़े में क्यों" (चर्चा अंक-3823) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आभार आप का शास्त्री जी
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बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आप का
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