"भैया दूज"
तिथि दूज शुक्ला मास कार्तिक, मग्न बहनें चाव से।
भाई बहन का पर्व प्यारा, वे मनायें भाव से।
फूली समातीं नहिं बहन सब, पाँव भू पर नहिं पड़ें।
लटकन लगायें घर सजायें, द्वार पर तोरण जड़ें।
कर याद वीरा को बहन सब, नाच गायें झूम के।
स्वादिष्ट भोजन फिर पका के, बाट जोहें घूम के।
करतीं तिलक लेतीं बलैयाँ, अंक में भर लें कभी।
बहनें खिलातीं भ्रात खाते, भेंट फिर देते सभी।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
भाई बहन का पर्व प्यारा, वे मनायें भाव से।
फूली समातीं नहिं बहन सब, पाँव भू पर नहिं पड़ें।
लटकन लगायें घर सजायें, द्वार पर तोरण जड़ें।
कर याद वीरा को बहन सब, नाच गायें झूम के।
स्वादिष्ट भोजन फिर पका के, बाट जोहें घूम के।
करतीं तिलक लेतीं बलैयाँ, अंक में भर लें कभी।
बहनें खिलातीं भ्रात खाते, भेंट फिर देते सभी।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
छंद का विधान निम्न लिंक में देखें:-
सुंदर सृजन
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