सीमा पर डटे रहते हैं,
हर समय सजग रहते हैं।
ये अपने देश के प्रहरी
तैयार सदा रहते हैं।।
सीमा की हर हलचल पर,
वे पैनी नज़र रखते हैं ।
शत्रु की हर हरकत पर
नज़रों की धार रखते हैं।।
नियमों के भीतर रहकर,
शत्रु पे वार करते है।
और अपने लक्ष से ये,
पल भर को नहीं डिगते हैं।।
दसियों शत्रुओं पर ये,
एक ही काफ़ी होते हैं।
पर अंदर के देश के दुश्मन,
इनपे ही वार करते हैं।।
कैसे कैसे शब्दों के,
ये बाण झेलते जाते।
पर देश के ख़ातिर अभिमानी
यह सब भी सह लेते हैं।।
आओ नागरिकों अपने,
वीरों पर मान करें हम।
सदा सराहें इनको,
इनका सम्मान करें हम।।
जो करें अवमान इनका,
उनको हम सबक़ सिखायें।
और देश के इन वीरों पर,
करना अभिमान सिखायें।।
सही
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