मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

रविवार, 25 फ़रवरी 2024

इक नगीने की तरह नायाब हो तुम


एक नगीने की तरह नायाब हो तुम 

ज़िंदगी एक सहरा, शादाब हो तुम


दिलकश भी तुम दिलनाज़ भी तुम 

हरदिल हो अजीज़,  सरताज हो तुम


एक अरसे से कोई मुलाकात  नहीं 

किस बात पे हमसे नाराज़ हो तुम 


हम तुमसे जुड़े जैसे रूह से' बदन 

परिंदा है हम , परवाज़ हो तुम 


सफ़र से है हम और सफ़र पे है हम

कि अंजाम ही तुम, आगाज़ हो तुम 

बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

शबनम

 तुम्हारे बिना भी चल ही रही है ज़िंदगी,

मैं जी रही हूँ, हँस रही हूँ, खा-पी भी रही हूँ,

पर कभी कभी ये मुझे रुला ही जाती है ।


बेटे बहुएँ बहुत ख़्याल रखते हैं मेरा

 नाती पोते भी, कभी तो पूछ ही लेते हैं,

पर न जाने क्यों इन ऑंखों में फिर भी 

नमी आ ही जाती है 


जिन रास्तों पर हम तुम कभी चले थे साथ साथ

जब देखती हूं पेड़ पौधे, फूल और पंछी

क्या कहूँ ऑंखों में शबनम छा ही जाती है ।