एक नगीने की तरह नायाब हो तुम
ज़िंदगी एक सहरा, शादाब हो तुम
दिलकश भी तुम दिलनाज़ भी तुम
हरदिल हो अजीज़, सरताज हो तुम
एक अरसे से कोई मुलाकात नहीं
किस बात पे हमसे नाराज़ हो तुम
हम तुमसे जुड़े जैसे रूह से' बदन
परिंदा है हम , परवाज़ हो तुम
सफ़र से है हम और सफ़र पे है हम
कि अंजाम ही तुम, आगाज़ हो तुम