कुछ अनुभूतियाँ :01
01
तुम प्यार बाँटते चलती हो
सद्भाव ,तुम्हारी चाह अलग
दुनिया को इस से क्या मतलब
दुनिया की अपनी राह अलग
02
वो वक़्त गया वो दिन बीता
कलतक जो मेरे अपने थे
मौसम बदला वो ग़ैर हुए
इन आँखों के जो सपने थे
03
ग़ैरों के सितम पर क्या कहते
अपनों ने सितम जब ढाया है
अच्छा ही हुआ कि देख लिया
है अपना कौन पराया है
04
दर्या में कश्ती आ ही गई
लहरों के थपेड़े ,साहिल क्या
तूफ़ान बला से क्या डरना
फिर हासिल क्या,लाहासिल क्या
-आनन्द.पाठक-
वाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप का
हटाएंसादर
सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार आप का
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-01-2021) को ♦बगिया भरी बबूलों से♦ (चर्चा अंक-3942) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंवाह! बहुत सुंदर सृजन कुछ खास अनुभूतियां।
जवाब देंहटाएं्बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंरोमांटिक शायरी गर्लफ्रेंड के लिए
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