ग़ज़ल : तेरे हुस्न की सादगी---
तेरे हुस्न की सादगी का असर है
न मैं होश में हूँ ,न दिल की ख़बर है
यूँ चेहरे से पर्दा गिराना ,उठाना
इसी दम से होता है शाम-ओ-सहर है
सवाब-ओ-गुनह का मै इक सिलसिला हूँ
अमलनामा भी तेरी ज़ेर-ए-नज़र है
गो पर्दे में है हुस्न फिर भी नुमायाँ
कि रोशन है ख़ुरशीद,रश्क-ए-क़मर है
जो जीना है जी ले हँसी से , ख़ुशी से
मिली जिन्दगी है ,भले मुख़्तसर है
क़यामत से पहले क़यामत है बरपा
वो बल खा के, लहरा के आता इधर है
नवाज़िश बड़ी आप की है ये,साहिब !
जो पूछा कि ’आनन’ की क्या कुछ ख़बर है ?
-आनन्द.पाठक-
वाह
जवाब देंहटाएंaabhaar aap kaa
जवाब देंहटाएंsaadar
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंdhanyaaad aap kaa
हटाएंsadar