फरवरी का महीना ख़ुद में ही सारे रंगों से सराबोर होता है और इस समय प्रकृति धरती को नए सौंदर्य से भर देती है । पेड़ों और पौधों में नयी कोपलें फूटती हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं, खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए मन भी उत्साहित होता है ।मन के गलियारे में भी भावनाओं की नयी लहर भी उम्र के साथ दस्तक देती है ।कुनिका जीवन के बीसवें बसंत में क़दम रख रही थी ।इंजीयनियरिंग की पढ़ाई भी ख़त्म ही होने वाली थी ।कॉलेज में प्लेसमेंट हो रहे थे । कुनिका भी चयनित हुयी थी ।उसे एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी से भी ऑफ़र मिल गया था ।ख़ुशियाँ दुगनी सी लग रहीं थी ।फरवरी की हल्की ठंड में हल्की बारिश के बाद उठती सोंधी ख़ुशबू उसे मदहोश कर रही थी,कुनिका प्रकृति की दीवानी थी ।ऐसे मौसम में अक्सर वह बाहें फैला कर आसमान की ओर देखते हुए हर मंज़र को बंद आँखों से ख़ुद में समेट लेती थी ।अयान कार का हॉर्न बजाता ही जा रहा था और कुनिका रास्ते में खड़ी ख़ुद में डूबी हुई थी,मेमसाब पार्किंग है ये, ज़रा रास्ता तो दीजिए ,कार पार्क करनी है, और हाँ .. बूँदों को ज़मीन पर गिरने दीजिए क्यूँ दोनो के बीच दीवार बनी हैं ,और इस मौसम में भीगने से बीमार पड़ जाओगी ।कुनिका हड़बड़ा कर किनारे से जाने लगी कि ठोकर लगते ही गिर गयी ।अयान ने उसे उठाया और बोला चोट तो नही लगी मैडम, वास्तव में तो घायल अयान हो चुका था , इस बारिश में सादगी में लिपटी हुई, ख़ुद में खोयी हुई ख़ूबसूरत मासूम सी लड़की को देख कर ।तभी माईरा दौड़ती बाहर आते ही बोली ,'क्या भैया कितना टाइम लगा देते हो ?मुझे ख़ुशख़बरी देनी थी सबको, ''आइ ऐम सो इक्सायटेड ,मुझे विप्रों ने सलेक्ट कर लिया ,पापा कितने ख़ुश होंगे सुनकर , माँ का चेहरा भी मुझे देखना है कितनी ख़ुश होगी सुनकर और तुम हो की पता नही क्या करने लगे ।तभी माईरा की नज़र कुनिका पर पड़ी ।''तुम यहाँ क्या कर रही हो ?ओह हो समझ गयी तो तुम अपनी पहली ख़ुशी बारिश से शेयर कर रही थी है न ..तू न ..तू तो बड़ी पागल है ''। ''भैया ये मेरी फ़्रेंड है कुनिका । भैया कुनिका भी भीग गयी चलो जल्दी इसे इसके घर ड्रॉप करते हुए हम घर चलते हैं ।रास्ते में तीनो ढेरों बातें करते हुए जल्दी ही कुनिका के घर पहुँच गये ,कुनिका ने कॉफ़ी पीने के लिए अंदर चलने को कहा,पर माईरा ने घर जाने की ख़ुशी को रखते हुए फिर किसी दिन आने के वादे के साथ चली गयी ।कुनिका ने घर में अपने पापा माँ से अपने प्लेसमेंट के बारे में बताया ।कुनिका इकलौती बेटी थी ।कुनिका ने बताया उसे बंगलोर जाना पड़ेगा ।माँ पापा ख़ुश तो बहुत थे पर आँखे भी छलक उठी ये देख कुनिका ने कहा, ''मैं कहीं नही जाने वाली आप दोनो को छोड़कर ।मैं यहीं रहूँगी आप दोनो के साथ , फिर पापा आप भी वहीं ट्रांसफ़र ले लो न ,आपकी कम्पनी का ब्रांच भी है वहाँ वो लोग कब से वहाँ आपको शिफ़्ट होने को बोल भी रहे हैं ।पापा बेटी की ख़ुशी के लिए कुछ भी करने से माना नही करते ।समय के साथ सब चल रहा था, कुनिका ने कम्पनी भी ज्वाइन कर ली । कुनिका कैंटीन में लंच ले रही थी कि उसकी मुलाक़ात अयान से हुई, और कुनिका को तब पता चला जिस विभाग में वह काम कर रही है उसी में अयान भी है और वह उसका सीनियर है ।अयान के दिल में कुनिका की सादगी ने पहले ही जगह बना ली थी अब उसके काम के तरीक़े से वह बहुत प्रभावित भी हो गया था ।एक दिन अयान ने कुनिका से अपने दिल की बात कह दी ।कुनिका को भी कोई एतराज़ ना था दोनो के बीच प्रेम का पौधा रोपित हो चुका था ।कुनिका अयान को अपने घर भी ले गयी माँ पापा से मिलने के बाद दोनो घरों में ख़ुशी का रिश्ता जुड़ गया । कुछ औपचारिकताए भी पूरी कर दी गयीं और एक साल बाद शादी की तारीख़ भी तय कर ली गयी।दोनो ख़ुश थे और उनकी शामें भी साथ ही गुज़रने लगी और इसी तरह फरवरी फिर आ गयी और कुनिका एक दिन उसी बारिश की बूँदों को अपनी मुट्ठी में बंद करने की चाह में बूँदों से एक छोटे से बच्चे की तरह खेल रही थी अयान भी आज उसके साथ ही था ।अयान ने कुनिका से पूछा तुम्हें बारिश बहुत पसंद है न ?,''नही मुझे फरवरी पसंद है और इस मौसम में बारिश हो जाय तो सोने पर सुहागा''कुनिका बोली ।''मैंने तुम्हें पहली बार बारिश की बूँदों से खेलते देखा था तभी मुझे तुम से प्यार हो गया था पर मुझे लगता था मैं तुमसे कह पाउँगा या नही दुबारा हमारी मुलाक़ात होगी भी या नही ।पर क़िस्मत का खेल देखो आज तुम मेरी बाहों में हो ।मुझे ऐसा लगा था जैसे क़ुदरत की बनायी हुयी एक नायाब गुल हो तुम, हर चीज़ से बेपरवाह ख़ुद में खोयी हुई ऐसी ख़ूबसूरती मिलनी बहुत मुश्किल है ,पता नही ये नायाब गुल मेरी या किसी और की क़िस्मत का सितारा है ,सोच कर मैंने अपने मन को बहला लिया था ,और तुम फिर एक दिन अचानक मेरे सामने थी , कुनिका ने अयान से कहा ,'अब छोड़ो इन बातों को , कितना ख़ूबसूरत मौसम है प्रकृति के कण कण में कितना जोश और प्यार भरा हुआ है ।इधर आओ ,अपनी आँखों को बंद करो और अंदर एक सुकून को महसूस करो, तुम्हें इतनी ख़ूबसुरत दुनिया पहले कभी ना लगी होगी ।अयान ने आँखों को बंद किया और बोला कुनिका तुम मुझे छोड़ के कभी ना जाना , तुम पास हो तो मुझे ये दुनिया वैसे ही ख़ूबसूरत लगती है ।मैं तुमसे कभी दूर नही जाना चाहता इसीलिए तो मैंने बॉस को दुबई वाला ऑफ़र लेने से माना कर दिया ।क्या ?, ''कुनिका ने चौंक कर पूछा ।अयान ने बताया उसे प्रमोशन के साथ दुबई ऑफ़िस में भेजा जा रहा था पर उसने माना कर दिया ।कुनिका ने कहा ,''मैं तो तुमसे दूर रहने की कल्पना से ही सिहर उठती हूँ ,मैं जी ना सकूँगी तुम्हारे बिन ।बारिश भी बंद हो गयी थी दोनो घर चले गये थे । अगली सुबह अयान के बॉस ने अयान को दुबई जाने को फिर कहा ,उसने एक बार फिर अपनी बात दुहराई और अपनी शादी की बात भी बताई । बॉस ने कहा ,''कुछ ही दिनो की बात है , प्लीज़ ,अयान तुम चले जाओ मना ना करो । अयान इस बार मना न कर सका और दुबई जाने की तैयारी करने लगा । देर सारे वादे सपने और इरादे के साथ अयान कुनिका से दूर एक अनजान देश जाने को ,कुनिका के ही साथ निकल पडा ,कुनिका नम आँखों से अयान को एयरपोर्ट छोड़ कर घर आ गयी तभी उसका फोन वाइब्रेट करने लगा देखा तो अयान की कॉल थी, उसने चेक इन और लगेज बुक्ड की बात बताई और बोला अभी फ्लाइट में टाइम है तो सोचा तुमसे बाते ही कर लूं घर पहुच गयी तुम ?अयान ने कुनिका से पूछा।हां गेट पर ही हूं,"कुनिका ने भारी मन से जबाब दिया।काश ..काश हम साथ होते तो कितना अच्छा था ,मैं तुम्हें बहुत मिस कर रहा हूँ कुनिका, मेरा मन तुम्हारे ही पास रहने का है जाने का नही कर रहा ।पर ..पर मज़बूर हूं,और जाना पड़ेगा अयान ने कुनिका से कहा । और बोला यहाँ हालत अच्छे दिख नही रहे हैं करोना महामारी का असर भी दिख rha है देखो क्या होता है ?मुश्किल बढ़ेगी या घटेगी देखो भविष्य किधर ले जाएगा । ''तुम सही सलामत वापस आ जाओ मैं तो इसके अलावा कुछ सोच ही नही पा रही हूँ ,समझ नही पा rhi हूँ छः महीने अकेले कैसे काटूँगी, ऑफ़िस भी तुम्हारे बिना काटने को दौड़ेगा । तभी अयान ने कहा, ''चलो फोन रखता हूँ ,पहुच के तुम्हे कॉल करूँगा ।एक महीना बीतते-बीतते ही पूरी दुनिया करोना के चपेट में आ गयी और सारी फ्लाइट्स और सभी देशों ने अपनी-अपनी सीमायें सील कर दी ।सभी देशों ने lockdown लगा दिया ।खबरों से निकल महामारी हम सब के बीच अपने रंग दिखाने लगी ।हालात को देखते हुए अयान और कुनिका की शादी की तारीख भी आगे बढ़ानी पड़ी ।अब अपनो से मिलने और जुड़ने का माध्यम वीडियो कॉल ही था ।अयान और कुनिका भी जैसे ही वक़्त मिलता कॉल करते और अपने भावी जीवन के सपनो को रंग से भरते।आठ माह से ऊपर हो गया अयान दुबई में लॉकडाउन के दौरान घर मे बैठ कर आफिस और अपना घर प्यार से संभाले हुए था।आज अयान ने कुनिका से कहा," यार बोर हो गया हूं घर मे रह कर,बाहर जाने को जी करता है , अकेलेपन से जी घबराता है मेरा ,तुम साथ होती तो बात कुछ और होती ,कुनिका अपनी बातों से अयान का दिल भी बहला भी रही थी लेकिन बीच-बीच मे अयान बोल रहा था , ''पता नही क्यों जी बहुत घबरा रहा है पता नही क्या होगा, कब इस बीमारी से मुक्ति मिलेगी कब कब ''। अयान ने कुनिका से कहा , ''अब तुम फोन रखो पापा की कॉल है उनसे बात करके फिर तुम्हे करता हूँ , कहीं जाना नही मेरा इंतज़ार करना ।अयान खुद में ही थोड़ा उलझा था समझ नही पा रहा था उसे क्या करना है ,और पापा की कॉल उठाया माँ पापा और माईरा से बातें करने लगा इधर उधर की बातें होती रही और इसी बीच अचानक अयान के हाथों से फोन गिर गया और अयान भी दूसरी ओर गिर पड़ा , पल भर में ही सब बदल गया ,बातें पूरी खत्म भी न हुई और अयान खत्म हो गया।पूरा परिवार चिल्लाता रहा पर अयान उठा नही । घरवालों का बुरा हाल और फिर वहां से अयान के मरने की खबर आई ,और इधर कुनिका उसके फ़ोन का इंतज़ार करती रही उसे अयान का फ़ोन नही आया आया तो अयान की ज़िंदगी के ख़त्म होने ख़बर ।जिसने कुनिका की ज़िंदगी और अयान के घर को बर्बाद कर दिया। अयान के पापा ने बड़ी कोशिश की ,कि बेटे की लाश किसी तरह अपने देश आ सके उसके आखिरी दर्शन हो सके पर समय ने उनसे इस दुख की घड़ी में वो भी छीन लिया।इस खबर ने कुनिका के जीवन के सारे रंग उड़ा दिए अब उसमें न जीने की चाहत बची न ही कुछ भी करने का उमंग। कुनिका घर के बालकनी में खड़ी थी और अचानक बारिश भी आ गयी पर आज कुनिका को किसी मौसम किसी रौनक से कुछ न लेना देना था फिर भी उसके कदम खुद ब खुद बारिश की ओर चल पड़े । कुनिका ने आसमान की ओर देखना चाहा पर जैसे बारिश की बूंदें उसकी पलकों को चूम कर कह रही थी कुनिका तू अकेली ही नही रो रही इस बिछड़न में अयान के भी आंसू हैं वह आसमान से अपनी पलकों की बूंदों को तुम्हारी हथेली में भर रहा है, तड़प पीड़ा दो असीम प्यार करने वालों के दिलों में बराबर है ,दोनो के आँसू बारिश की बूँदों में मिलकर एक हो गये थे ।कुनिका उसके इंतज़ार में आज फ़ोन लिए बैठी है ,जबकि वाह जानती है कि उधर से अब कुछ भी नही आने वाला और ये फरवरी जीवन का पतझड़ ले कर आयी और उसकी ज़िंदगी में हमेशा के लिए ठहर गयी है ।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (31-01-2021) को "कंकड़ देते कष्ट" (चर्चा अंक- 3963) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक आभार
हटाएंमार्मिक कहानी
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
हटाएंमर्मस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंतहें दिल से शुक्रिया
हटाएंहार्दिक आभार
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