एक ग़ज़ल
उनसे हुआ है आज तलक सामना नहीं
कोई ख़बर नहीं है कोई राबिता नहीं ।
दिल की ज़ुबान दिल ही समझता है ख़ूबतर,
तुमने सुना वही कि जो मैने कहा नहीं ।
दावा तमाम कर रहे हो इश्क़ का मगर,
लेकिन तुम्हारे इश्क़ में हर्फ़-ए-वफ़ा नहीं ।
आती नहीं नज़र मुझे ऐसी तो कोई शै ,
जिसमें तुम्हारे हुस्न का जादू दिखा नहीं ।
वो हमनवा है, यार है, सुनता हूँ आजकल ,
वो मुझसे बेनियाज़ है लेकिन ख़फ़ा नहीं ।
वह राह कौन सी है जो आसान हो यहाँ,
इस दिल ने राह-ए-इश्क़ में क्या क्या सहा नहीं।
लोगो की बात को न सुना कीजिए हुज़ूर !
’कहना है उनका काम, मैं दिल का बुरा नहीं ।
जो भी सुना है तुमने किसी और से सुना
’आनन’ खुली किताब है तुमने पढ़ा नहीं ।
-आनन्द.पाठक -
शब्दार्थ
राबिता =राब्ता = सम्पर्क
शै = चीज़
हमनवा‘ = समान राय वाला
बेनियाज़ = बेपरवा
तुमने जो सुना , किसी और से सुना .. बहुत खूब . अक्सर सम्बन्धित से सच जाने बिना औरों से सुनकर मान लेना ही ग़लतफहमियों को जन्म देता है
जवाब देंहटाएंजी
जवाब देंहटाएंआभार आप का🙏🙏