चन्द माहिया : क़िस्त 16
:1:
किस बात का हंगामा
ज़ेर-ए-नज़र तेरी
मेरा है अमलनामा
:2:
जो चाहे सज़ा दे दो
उफ़ न करेंगे हम
पर अपना पता दे दो
:3:
वो जितनी जफ़ा करते
क्या जाने हैं वो
हम उतनी वफ़ा करते
:4:
क़तरा-ए-समन्दर हूँ
जितना हूँ बाहर
उतना ही अन्दर हूँ
:5:
इज़हार-ए-मुहब्बत है
रुसवा क्या होना
बस एक अक़ीदत है
[शब्दार्थ ज़ेर-ए-नज़र = नज़रों के सामने
अमलनामा =कर्मों का हिसाब-किताब
-आनन्द.पाठक
09413395592
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