".....राम राम !राम !! घोर कलियुग आ गया ....अब यह देश नहीं चलेगा ...चार दिन इन्टर्नेट पर ’चैटिंग क्या कर ली कि सीधे "शादी" कर ली । इन ’फेसबुक" वालों ने तो धर्म ही भ्रष्ट कर के रख दिया ....." पंडित जी ने नाक-भौं सिकोड़ते हुए कथन जारी रखा - "--- अब आप ही बताइए माथुर साहब !-देखा न सुना ,न घर का पता न खानदान का ...अरे यह भी कोई शादी हुई ....शादी विवाह में जाति देखी जाती है.... बिरादरी देखी जाती है ...अरे हमारे यहाँ तो गोत्र की कौन कहे ..हम तो ’नाड़ी" तक चले जाते हैं.....धर्म-कर्म भी कोई चीज है कि नहीं ...शास्त्रों में क्या झूट लिखा है ...मनु-स्मृति में ग़लत लिखा है...विजातीय विवाह कोई विवाह होता है ...और वो भी कोर्ट में ...न पंडित न फ़ेरा ..न वर न बरात ..न अग्नि का फेरा .....ऐसे में तो संताने ’वर्ण-संकर’ ही पैदा होगी....धर्म का क्षय होगा "
माथुर साहब धर्म की यह व्याख्या वह बड़े ’चाव’ से सुन रहे थे कारण कि उनके पड़ोसी अस्थाना साहब की बेटी भाग कर कोई विजातीय " कोर्ट मैरिज" कर ली थी
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कुछ वर्षों पश्चात.....एक दिन
रास्ते में पंडित जी और माथुर साहब टकरा गये.एक "ट्रैफ़िक-पोस्ट" पर.। ....प्रणाम पाती हुआ ...
माथुर साहब---" ...सुना है आजकल आप का ’छुट्टन’ आया है विलायत से छुट्टी पर ..छोटा था तो देखा था अब तो बड़ा हो गया होगा ...साथ में कोई "अंग्रेजन बहू’ भी साथ लाया है... ?
"- बड़ी संस्कारी बेटी है मेरी बहू ....उतरते ही "हाय-डैडू’- कहा ..इसाई "ब्राह्मण" की बेटी है..सुना है उसके पिता भी पूजा-पाठ कराते है वहाँ । भाई ! शादी विवाह तो ऊपर वाला ही बनाता है..... हम कौन होते हैं ..... क्या देश क्या विलायत ...जोड़ियाँ तो स्वर्ग से ही बनती है...भगवान बनाते है ..सब में एक ही प्राण ,सब में एक ही खून ..सबके खून का एक ही रंग ..ये तो हम हैं कि हिन्दू मुसलिम सिख ईसाई छूत-अछूत कर बैठे हैं...’सर्व धर्म सदभाव देश आगे बढ़ेगा... बहू भी वहाँ नौकरी करती है ..अच्छा पैसा कमाती है..बेटा भी कभी कभी कुछ भेंज देता है .......दोनो राजी-खुशी रहें हमें और क्या चाहिए......
माथुर साहब को इस बहू-कथा में ज़्यादा ’आनन्द’ नही आ रहा था क्योंकि यह उनके पड़ोसी ’अस्थाना" साहब की बेटी की कथा न थी ....
फिर कुछ औपचारिक बात-चीत के बाद दोनों ने अपनी अपनी राह ली
पीछे "ट्रैफ़िक-पोस्ट’ पर लिखा था--" यू-टर्न"
-आनन्द.पाठक-
09413395592
sarthak rachna.........
जवाब देंहटाएंCome to my blog and read hindi poems written by Rishabh Shukla (me).
http://hindikavitamanch.blogspot.in/?m=1
sach kaha aapne vartmaan samaj adhunikta ki had par hai..
जवाब देंहटाएंआ0 ऋषभ जी/सन्जु
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद रचना पसन्द करने का
सादर
-आनन्द.पाठक