चन्द माहिया : क़िस्त २२
:१:
एहसास रहे ज़िन्दा
तेरे होने की
इक प्यास रहे ज़िन्दा
:२:
आना हो न गर मुमकिन
जब दिल में मेरे
फिर क्या जीना तुम बिन
:३:
आँखों में समाए वो
अब क्या मैं देखूँ
आ कर भी न आए वो
:४:
जिस दिल में न हो राधा
साँसे तो पूरी
पर जीवन है आधा
:५:
पा कर भी जब खोना
टूटे सपनों का
फिर क्या रोना-धोना !
आनन्द.पाठक
०९४१३३९५५९२
:१:
एहसास रहे ज़िन्दा
तेरे होने की
इक प्यास रहे ज़िन्दा
:२:
आना हो न गर मुमकिन
जब दिल में मेरे
फिर क्या जीना तुम बिन
:३:
आँखों में समाए वो
अब क्या मैं देखूँ
आ कर भी न आए वो
:४:
जिस दिल में न हो राधा
साँसे तो पूरी
पर जीवन है आधा
:५:
पा कर भी जब खोना
टूटे सपनों का
फिर क्या रोना-धोना !
आनन्द.पाठक
०९४१३३९५५९२
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