चन्द माहिया : क़िस्त 50
1
पल जो भी गुज़र जाता
छोड़ के कुछ यादें
फिर लौट के कब आता ?
2
होता भी अयाँ कैसे
दिल तो ज़ख़्मी है
कहती भी ज़ुबाँ कैसे ?
3
तुम ने मुँह फेरा है
टूट गए सपने
दिन में ही अँधेरा है
4
शोलों को भड़काना
ये भी सज़ा कैसी
भड़का के चले जाना
5
इक नन्हीं सी चिड़िया
खेल रही जैसे
मेरे आँगन गुड़िया
-आनन्द.पाठक-
1
पल जो भी गुज़र जाता
छोड़ के कुछ यादें
फिर लौट के कब आता ?
2
होता भी अयाँ कैसे
दिल तो ज़ख़्मी है
कहती भी ज़ुबाँ कैसे ?
3
तुम ने मुँह फेरा है
टूट गए सपने
दिन में ही अँधेरा है
4
शोलों को भड़काना
ये भी सज़ा कैसी
भड़का के चले जाना
5
इक नन्हीं सी चिड़िया
खेल रही जैसे
मेरे आँगन गुड़िया
-आनन्द.पाठक-
DhanyaVaad Sir ji
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर माहिया
जवाब देंहटाएंDhanyvaad Sunita ji aap ka
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