एक ग़ज़ल : आज इतनी मिली है--
आज इतनी मिली है ख़ुशी आप से
दिल मिला तो मिली ज़िन्दगी आप से
तीरगी राह-ए-उल्फ़त पे तारी न हो
छन के आती रहे रोशनी आप से
बात मेरी भी शामिल कहीं न कहीं
जो कहानी सुनी आप की आप से
राज़-ए-दिल ये कहूँ भी तो कैसे कहूँ
रफ़्ता रफ़्ता मुहब्बत हुई आप से
गर मैं पर्दा करूँ भी तो क्योंकर करूँ
क्या छुपा जो छुपाऊँ अभी आप से
या ख़ुदा अब बुझे यह नहीं उम्र भर
प्रेम की है अगन जो लगी आप से
ठौर कोई नज़र और आता नहीं
दूर जाए न ’आनन’ कभी आप से
-आनन्द.पाठक-
आज इतनी मिली है ख़ुशी आप से
दिल मिला तो मिली ज़िन्दगी आप से
तीरगी राह-ए-उल्फ़त पे तारी न हो
छन के आती रहे रोशनी आप से
बात मेरी भी शामिल कहीं न कहीं
जो कहानी सुनी आप की आप से
राज़-ए-दिल ये कहूँ भी तो कैसे कहूँ
रफ़्ता रफ़्ता मुहब्बत हुई आप से
गर मैं पर्दा करूँ भी तो क्योंकर करूँ
क्या छुपा जो छुपाऊँ अभी आप से
या ख़ुदा अब बुझे यह नहीं उम्र भर
प्रेम की है अगन जो लगी आप से
ठौर कोई नज़र और आता नहीं
दूर जाए न ’आनन’ कभी आप से
-आनन्द.पाठक-
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