लघुकथा-छह
‘बच्चे, उस बाड़ से दूर रहना, उसे छूना नहीं. उसमें बिजली
चल रही है.’
‘लेकिन यह बाड़ यहाँ क्यों है? इसमें बिजली क्यों चल रही
है.’
‘यह सब हमारी सुरक्षा के लिये है.’
‘हमारी सुरक्षा? किस से?’
वृद्ध एकदम कोई उत्तर ने दे पाए. कुछ सोच कर बोले, ‘बच्चे,
यह बात तो मैं भी समझ नहीं पाया.’
‘वह हमें मूर्ख बना रहे हैं.’
‘शायद तुम सही कह रहे हो.’
तभी तीन आदमी आ पहुंचे. तीनों एक जैसे दिख रहे थे.
‘दादाजी, रोबोट आ गये!’
‘आपने कर देने में फिर देरी कर दी?’ एक आदमी बोला.
‘मुझे थोड़ा समय और चाहिये.’
‘आपका समय तो कब का समाप्त हो चुका है,’ दूसरे ने कहा.
तीसरे ने वृद्ध को उठा कर बाड़ की ओर धकेलना शुरू कर
दिया.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (05-01-2019) को "साक्षात्कार की समीक्षा" (चर्चा अंक-3207) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
thanks
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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