निमंत्रण
‘क्या तुम्हें पूरा विश्वास
है कि यह निमंत्रण इस ग्रह के निवासियों के लिये है? मुझे तो लगता है कि किसी भी
ग्रह के वासी पृथ्वी-वासियों को अपने यहाँ नहीं बुलाना चाहेंगे!’
‘क्यों? क्या खराबी है इन
जीवों में?’
‘तुम्हें पूछना चाहिए कि क्या
खराबी नहीं है इनमें!’
एलियंस का अन्तरिक्ष-यान अभी
भी पृथ्वी से कई लाख मील दूर था लेकिन यान की हर प्रणाली चेतावनी संकेत दे रही थी.
‘चेतावनी! चेतावनी! चेतावनी!
इस ग्रह की हर वस्तु दूषित प्रतीत होती है, लोगों के मन और हृदय भी. हम लोगों से
अवश्य ही कोई गलती हुई है. इस ग्रह के वासियों को हम अपने ग्रह पर नहीं आने दे
सकते, कभी नहीं. यह निमंत्रण तो मैं वापस ले जाऊँगा.........चलो, लौट चलें.’
‘आप ठीक कह रहे हैं. हमें तो
अपने अपराधियों को इस ग्रह पर भेज देना चाहिये.......’
‘सच में, उनको नरक भेजने समान होगा ऐसा दंड.’
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