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शनिवार, 21 दिसंबर 2019

एक ग़ज़ल : झूट इतना इस तरह बोला गया---

एक ग़ज़ल : झूठ इतना इस तरह ---



झूठ इतना इस तरह  बोला  गया
सच के सर इलजाम सब थोपा गया

झूठ वाले जश्न में डूबे  रहे -
और सच के नाम पर रोया गया

वह तुम्हारी साज़िशें थी या वफ़ा
राज़ यह अबतक नहीं खोला गया

आइना क्यों देख कर घबरा गए
आप ही का अक्स था जो छा गया

कैसे कह दूँ तुम नहीं शामिल रहे
जब फ़ज़ा में ज़ह्र था घोला गया

बेबसी नाकामियों के नाम पर
ठीकरा सर और के फ़ोड़ा गया

हो गई ज़रख़ेज़ ’आनन’ तब ज़मीं
प्यार का इक पौध जब रोपा गया


-आनन्द.पाठक-

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