शैतानी जो थी धारा।
जैसे कोई थी कारा।।
दाढों में घाटी सारी।
भारी दुःखों की मारी।।
लूटों का बाजे डंका।
लोगों में थी आशंका।।
हत्याएँ मारामारी।
सांसों पे वे थी भारी।।
भोले बाबा की मर्जी।
वैष्णोदेवी माँ गर्जी।।
घाटी की होनी जागी।
आतंकी धारा भागी।।
कश्मीरी की आज़ादी।
उन्मादी की बर्बादी।
रोयेंगे पाकिस्तानी।
गायेंगे हिंदुस्तानी।।
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शीर्षा छंद विधान -
"मामागा" कोई राखे।
'शीर्षा' छंदस् वो चाखे।।
"मामागा" = मगण मगण गुरु
(222 222 2),
दो-दो चरण तुकांत (7वर्ण प्रति चरण )
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय बहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआत्मिक आभार।
हटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंआभार।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअति आभार।
हटाएंवाह अद्भुत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
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