मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 19 जून 2021

अनुभूतियाँ: क़िस्त 08

अनुभूतियाँ : क़िस्त 08

 

1
दोनों के जब दर्द एक हैं,
फिर क्यों दिल से दिल की दूरी
एक साथ चलने में क्या है ,
मिलने में हैं क्या मजबूरी ?

 
2
रात रात भर तारे किस की ,
देखा करते  राह निरन्तर  ?
और जलाते रहते ख़ुद को
आग बची जो दिल के अन्दर ।

 
3
कितनी बार हुई नम आँखें,
लेकिन बहने दिया न मैने।
शब्द अधर पर जब तब उभरे
कुछ भी कहने दिया न मैने ।

 
4
छोड़ गई तुम, अरसा बीता,
फिर न बहार आई उपवन में ।
लेकिन ख़ुशबू आज तलक है,
दिल के इस सूने आँगन  में ।
 

 

-आनन्द.पाठक-

 


1 टिप्पणी: