अनुभूतियाँ : क़िस्त
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दोनों के जब दर्द एक हैं,
फिर क्यों दिल से दिल की दूरी
एक साथ चलने में क्या है ,
मिलने में हैं क्या मजबूरी ?
दोनों के जब दर्द एक हैं,
फिर क्यों दिल से दिल की दूरी
एक साथ चलने में क्या है ,
मिलने में हैं क्या मजबूरी ?
रात रात भर तारे किस की ,
देखा करते राह निरन्तर ?
और जलाते रहते ख़ुद को
आग बची जो दिल के अन्दर ।
कितनी बार हुई नम आँखें,
लेकिन बहने दिया न मैने।
शब्द अधर पर जब तब उभरे
कुछ भी कहने दिया न मैने ।
छोड़ गई तुम, अरसा बीता,
लेकिन ख़ुशबू आज तलक है,
दिल के इस सूने आँगन में ।
-आनन्द.पाठक-
वाह 👌
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