मिलोगे कभी क्या मुझे तुम, बता दो ?
सज़ा मुझको दोगे यूं कब तक, बता दो
यहां अब सवेरे आते नहीं है
अंधेरे यहां से जाते नही है
न चांद यहां है
सितारे न कोई
रातें यहां पर न सदियों से सोई
ये पल कब तलक हो
समय को बता दो
कोई लफ्ज़ बोले न अपनी कहानी
कोई आंख खोले न अपनी ज़ुबानी
न शिकवा किसी को
शिकायत न कोई
बेसबब बेवजह हो कब तक यूं कोई
उदास ये गम कब तलक हो
दिल को बता दो
ये धड़कन थोड़ी थमी सी हुई है
बदन में भी कोई आहट नही है
न सांसों में गर्मी
न होंठों में नर्मी
मर मर के जिए कब तक यूं कोई
बेवजह ज़िंदगी कब तलक हो
हमें अब बता दो
क्या मिलोगे मुझे तुम कभी ये बता दो ?
सज़ा मुझको दोगे यूं कब तक बता दो ?
Thanks for useful Information
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