31 दिसम्बर की तारीख में...
एक खास ही बात है
यादों की बारात हैं।
जज़्बातों के एहसास हैं।
बीते कदमों की चाप हैं।
खुशियों के सैलाब हैं।
आँसुओं की गिनती है
मुस्कानों के विश्वास हैं।
इसके बढ़ते कदमों पर...
अरमान हैं , जिज्ञासा है।
आशा है, पिपासा है।
उत्साह है , संकल्प है।
चलती यह सखी एक जनवरी
से हाथ मिलाती है
अपने मनोभावों की गठरी
उसी के हाथ सौंप आती है।
दो सखियों के इस मिलन की आपको शुभकामनाएँ।😍
पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल से
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